गिरिडीह सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी ने फांसी लगाकर दी जान
दहेज हत्या के मामले में सेन्ट्रल जेल में बंद विचाराधीन बंदी पीरटांड थाना अंतर्गत बोनासिघा निवासी करीब 25 वर्षीय अशोक मल्लाह ने शुक्रवार की शाम को जर्जर शौचालय में गमछा के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया।
संवाद सहयोगी, गिरिडीह :
गिरिडीह सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी अशोक मल्लाह (25) ने शुक्रवार की शाम फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह पीरटांड थाना क्षेत्र के बोनासिघा गांव का रहने वाला था। जेल के शौचालय में गमछा के सहारे वह फांसी पर झूल गया। दहेज हत्या के आरोप में वह छह जुलाई से जेल में बंद था।
उसकी आत्महत्या की जानकारी मिलते ही जेल प्रबंधन के होश उड़ गए। तत्काल उसे फंदे से उतारकर अधिकारी जेल अस्पताल ले गए। वहां से उसे सदर अस्पताल भेज दिया गया। सदर अस्पताल में जांच के बाद चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। कक्षपाल पवन कुमार ने बताया कि शाम को बंदियों की गिनती हो रही थी। इस दौरान एक बंदी कम पाया गया। तब पड़ताल हुई तो पता चला कि अशोक नहीं है। उसकी खोजबीन शुरू हुई तो सिपाहियों ने शौचालय के अंदर उसे फंदे पर लटकते देखा। वह फंदे पर क्यों झूल गया, इस बारे में जेल अधिकारी भी कुछ बता नहीं पा रहे हैं।
अप्रैल में भी जेल में फंदे पर लटका मिला था बंदी :
जेल में हुई यह घटना पहली नहीं है। इसके पूर्व अप्रैल में बगोदर के रहने वाले मनीष रजक नामक विचाराधीन बंदी को भी फंदे से लटका पाया गया था। हालांकि उसके परिजन आज भी उसकी हत्या कर शव को फंदे में लटकाने की बात कहते हैं। जेल कर्मियों ने बताया कि कक्षपाल की कमी के कारण बंदियों पर नजर रखने में परेशानी होती है। जेलर कोलेश्वर कुमार पासवान ने बताया कि अशोक मल्लाह ने शौचालय में फांसी लगा ली है। उसके शव के पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल प्रबंधन को पत्र भेज रहे हैं। उसने फांसी क्यों लगाई इसकी छानबीन हो रही है।