जागरूकता से प्रभावी होगा पौधरोपण अभियान
तिसरी प्रखंड में सब बीट में लगभग सभी गांव में जंगल की सुरक्षा व देखभाल के लिये विभाग द्वारा ग्राम वन समिति का गठन किया गया है।जिसमे ग्राम के एक व्यक्ति को अध्यक्ष व सचिव पदेन वन पाल सहित कई ग्रामीण सदस्य होते है।
गिरिडीह : उजड़ते जंगलों और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने की आवश्यकता है। इसके लिए वन विभाग की ओर से हर साल लाखों रुपये खर्च कर पौधरोपण किया जाता है। पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग की ओर से अभियान भी चलाया जाता रहा है। इसके बाद भी एक बड़ी आबादी इसे लेकर उदासीन बनी हुई है। ऐसे लोग न पौधरोपण में दिलचस्पी लेते हैं और न ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर उन्हें कोई सरोकार रहता है। हालांकि काफी ऐसे पर्यावरण प्रेमी और प्रहरी भी हैं, जो पौधरोपण अभियान को गति देने में जुटे हैं। ऐसे लोग खुद पौधरोपण करने के साथ-साथ दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते हुए इस अभियान से जोड़ रहे हैं। ऐसे पर्यावरण प्रहरियों ने पौधरोपण अभियान को व्यापक रूप देने और इसे प्रभावी बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं।
गणेश मंडल ने कहा कि वर्तमान समय में जंगल सिमटते जा रहे हैं। पेड़-पौधों की संख्या भी घटती जा रही है। इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इससे बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने और जंगल बचाने की जरूरत है। सभी लोगों को पौधरोपण के लिए आगे आना होगा। सभी की सहभागिता से ही पौधरोपण अभियान को प्रभावी बनाया जा सकता है। इसके लिए व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। लोग जागरूक होंगे, तभी वे इस अभियान में अपना हाथ बटाएंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता बैद्यनाथ ने कहा कि लोगों को पेड़-पौधों की महत्ता और आवश्यकता के बारे में बताकर उन्हें पौधरोपण के लिए प्रेरित किया जा सकता है। लोगों में जानकारी का भी अभाव है। इस कारण भी लोग पौधरोपण के लिए आगे नहीं आते। इसके लिए गांव-गांव में निरंतर प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। अरुण शर्मा ने कहा कि आज पर्यावरण संरक्षण के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। जमीन पर कम और कागज पर अधिक काम हो रहा है। इस प्रवृत्ति को खत्म किए बिना पौधरोपण को प्रभावी नहीं बनाया जा सकता है। कहने को तो सरकार की ओर से हर साल पर्यावरण संरक्षण, जंगलों की सुरक्षा और पौधरोपण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है, लेकिन इसका असर बहुत कम देखने को मिल रहा है। पूरी पारदर्शिता के साथ ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है। जंगलों की सुरक्षा को गांवों में बनी कमेटी
तिसरी : प्रखंड के सब बीट में आने वाले लगभग सभी गांवों में जंगलों की सुरक्षा व देखभाल के लिए विभाग ने ग्राम वन समिति का गठन किया है। समिति में गांव के ही एक व्यक्ति को अध्यक्ष तथा वनपाल को पदेन सचिव बनाया गया है, जबकि कई ग्रामीण सदस्य होते हैं।
ग्राम वन समिति गठन का उद्देश्य लकड़ी माफियाओं से जंगल की सुरक्षा करना है, ताकि कोई भी जंगल में पेड़ की कटाई और पौधों को नष्ट न करे। जंगल की सुरक्षा करने में कोई बाधक बनने वाले पर वन विभाग की सहायता कानूनी कार्रवाई की जाएगी। समिति से जुड़े लोग जंगल की सुरक्षा करने के साथ जीविकोपार्जन भी कर सकते हैं। जंगल में महुआ व कोढ़ी चुनने तथा सखुआ की पत्ता से रोजगार कर सकते हैं। इसमें विभाग की अनुमति लेने की जरूरत है, लेकिन फिलहाल ग्राम वन समितियों को विभाग के कर्मी सक्रिय करने में जुटे हैं। समितियों के साथ वनरक्षी बैठक कर जंगल की सुरक्षा को ले ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं। वनरक्षी अशोक यादव ने बताया कि सभी सब बीट में लगभग ग्राम वन समिति का गठन हो चुका है। शेष गांवों में भी इसका गठन किया जा रहा है। जंगल की सुरक्षा व बचाव के लिए ग्रामीणों की सक्रियता आवश्यक है।