अपने ही घर में अपनों की नो एंट्री
प्रखंड के लक्ष्मीपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय में गांव के ही दर्जनों लोग कलकत्ता व दिल्ली से आने वाले लोग को ग्रामीणों ने रोक कर कोराणा वायरस की जांच कराने तक घर मे नही जाने का फरमान सुना दिया।रात भर विद्यालय प्रांगण में बिताने के बाद समाजसेवी मंटु शर्मा व रंजीत राम के नेतृत्व में तिसरी स्वास्थ्य केंद्र लाया गया।जहां कोराणा वायरस की जांच की मांग को लेकर हंगामा किया।ओर कहा कोराणा कि जांच नही हो रहा सिर्फ पर्ची बनाकर खानापूर्ति किया जा रहा है।
तिसरी : लक्ष्मीपुर के ग्रामीणों ने रविवार को कोलकाता, दिल्ली आदि शहरों से लौटे दर्जनों लोगों को घर में प्रवेश नहीं करने दिया। सभी को गांव के ही उत्क्रमित मध्य विद्यालय में रखा गया है। कोरोना वायरस की जांच कराने के बाद सभी को घर जाने दिया जाएगा। रात भर विद्यालय प्रांगण में रहने के बाद सोमवार को समाजसेवी मंटू शर्मा व रंजीत राम के नेतृत्व में सभी को तिसरी स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां कोरोना वायरस की जांच की मांग को लेकर लोगों ने हंगामा किया। कहा कि कोरोना की जांच नहीं की जा रही है। सिर्फ पर्ची बनाकर खानापूर्ति की जा रही है।
डॉ. देवव्रत कुमार ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन नहीं समझने पर पुलिस को बुलाया गया। इसके बाद डॉक्टर ने बताया कि कोरोना की जांच के लिए किट व मशीन की सुविधा नहीं है तो कहां से लाएं। उन्होंने लोगों को शारीरिक दूरी बनाकर रहने की सलाह दी। कहा कि यदि किसी में कोरोना का लक्षण पाया जाता है तो उसे रेफर किया जाएगा। तिसरी एसआइ रोशन कुमार ने लोगों को समझा कर डॉक्टर के निर्देश का पालन करने को कहा।
रविवार रात दूसरे प्रदेशों से करीब 30-40 लोग कोडरमा होकर गांव आए थे। उनके लिए परिजनों और ग्रामीणों की सहमति से स्कूल में खाने-पीने व रहने की व्यवस्था की गई थी। मंटु शर्मा ने कहा कि मुखिया की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी गई।पंचायत भवन में क्वारंटाइन की सुविधा नहीं थी।
बाहर से आ रहे लोगों को ठुकराएं नहीं : लॉकडाउन के कारण महानगरों और दूसरे प्रदेशों से आ रहे लोगों के साथ पूरी सहानुभूति दिखाएं। उनको ठुकराने नहीं, अपनाने की जरूरत है। ऐसे लोगों की मुकम्मल जांच हो, यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य जांच के क्रम में चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली सलाह का भी पूरा पालन होना चाहिए। यदि क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी जाती है तो इसका पालन करें। मुखिया, ग्रामीण आदि लोग स्थानीय स्तर पर ऐसे लोगों के क्वारंटाइन की व्यवस्था करें।