क्लेम का मिला चेक तो आंखों से छलक पड़े आंसू
संवाददाता गिरिडीह मासिक लोक अदालत में 55 मामले निष्पादित पीड़ितों को मिला 55 लाख का चेक--जागरण संवाददाता गिरिडीहदुर्घटना से मौत के मामले में पीड़ित परिवारों के आखों में खुशी की आंसू निकल पड़े जब मुआवजा का चेक दिया गया।शनिवार को डालसा के ओर से आयोजित मासिक लोक अदालत में दुर्घटना में मारे गए लोगो
गिरिडीह : दुर्घटना से हुई मौत के मामले में पीड़ित परिवारों की आखों में खुशी के आंसू तब निकल पड़े जब मुआवजा का चेक उन्हें दिया गया। शनिवार को डालसा की ओर से आयोजित मासिक लोक अदालत में दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को पीडीजे सह डालसा के अध्यक्ष दीपकनाथ तिवारी और कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजना अस्थाना ने साठ लाख रुपए का चेक दिया । यह मामला जिला जज वन रामबाबू गुप्ता और जिला जज तीन दिनेश चन्द्रा की अदालत में सुलह कर लाया गया था। पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलने से उन्हें आर्थिक रूप से भविष्य में परेशानी नहीं होगी। इसी उद्देश्य से डालसा ने हाल ही में एक सेमिनार का आयोजन कर क्लेम केस के प्रति लोगों को जागरूक करने को कहा था। लोक अदालत को लेकर सात बैंचों का गठन किया गया था। इसमें बिजली से संबंधित 30 मामलों का निष्पादन किया गया और 71 ह•ार के राजस्व की वसूली की गई। सुलहनीय आपराधिक और वन वाद के 14 मामले निष्पादित किए गए। साथ ही वन वाद से दो लाख 13 ह•ार 525 रुपए राजस्व की प्राप्ति की गई। उत्पाद वाद के संबंधित 11 मामलों के निष्पादन के साथ 32 ह•ार 50 रुपए का जुर्माना वसूल किया गया। कुल 55 मामलों के निष्पादन के साथ विभिन्न विभागों को तीन लाख 16 ह•ार 775 रुपए राजस्व की प्राप्ति हुई। इस आयोजन में जिला जज रामबाबू गुप्ता, कुमार दिनेश, रमेश चन्द्रा, डीएन मिश्रा, सीजेएम मिथिलेश कुमार सिंह, एसीजेएम मनोरंजन कुमार, डालसा के सचिव संदीप कुमार बर्तम, न्यायिक दंडाधिकारी शंभु महतो, पवन कुमार, अधिवक्ता, न्यायालय कर्मी, पक्षकार, पीएलवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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अनुसंधान में लापरवाही को जिला जज ने लिया संज्ञान
गिरिडीह : आपराधिक मामलों के अनुसंधान में बरती जा रही लापरवाही पर प्रधान जिला जज दीपकनाथ तिवारी ने संज्ञान लिया है। शुक्रवार को जिला मॉनिटरिग सेल की हुई बैठक में उन्होंने कई निर्देश दिया। कहा कि पुलिस मामले में कई भागों में आरोप पत्र दाखिल करती है जो गलत है। पुलिस अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी आपराधिक मामलों की एक ही बार जांच कर उसमें शामिल लोगों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करें। कहा कि पुलिस आरोपित को पकड़ने के लिए न्यायालय से वारंट प्राप्त कर गिरफ्तार करे। फिर भी आरोपित पकड़ से बाहर हो तो पुलिस उस आरोपित को फरार दिखाते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करे। अनुसंधान मामले की होती है व्यक्ति की नहीं। डीएमसी की बैठक में प्रभारी सीजेएम मनोरंजन कुमार, एसपी के प्रतिनिधि के रूप में डीएसपी विनोद कुमार रवानी, डीसी का प्रतिनिधित्व करनेवाले अपर समाहर्ता राकेश कुमार दूबे, पीपी अजय कुमार साहू, जीपी जयंत कुमार व कई विभाग के कार्यपालक अभियंता शामिल थे। पीडीजे ने कहा कि मामलों के निष्पादन में पुलिस की भूमिका अहम होती है। समय पर केस डायरी नहीं आने पर मामला लंबा चला जाता है। उन्होंने पीपी को समय पर केस डायरी न्यायालय में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि न्यायालय से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भेजे गए मामलों में विलंब नहीं करें। सरकारी और लंबित सिविल वाद पर चिता जताते हुए जीपी और एसी को निर्देश दिया गया। कई सिविल वाद वर्षो से रिपोर्ट के अभाव में लंबित बताया गया।