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झोला छाप डॉक्टर के पास भीड़, अस्पताल में सन्नाटा

पीरटांड़ (गिरिडीह) एक ऐसा समय था जब पालगंज अस्पताल का उप स्वास्थ्य केंद्र हुआ करता था अ

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 06:35 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 06:35 PM (IST)
झोला छाप डॉक्टर के पास भीड़, अस्पताल में सन्नाटा
झोला छाप डॉक्टर के पास भीड़, अस्पताल में सन्नाटा

पीरटांड़ (गिरिडीह) : एक ऐसा समय था, जब पालगंज अस्पताल का उप स्वास्थ्य केंद्र हुआ करता था और प्रतिदिन यहां सौ से डेढ़ सौ मरीज इलाज कराते थे। 24 घंटे यहां चिकित्सक तैनात भी रहते थे। ऐसा झारखंड में नहीं, बिहार के शासनकाल के होता था। उस समय आधुनिक युग भी नहीं था, लेकिन आज के इस आधुनिक युग में उसी 24 घंटे खुलनेवाले अस्पताल में न ही कोई चिकित्सक दिख रहे हैं और न ही दवा वितरण हो रहा है। लैब टेक्नीशियन को छोड़कर यहां वार्ड इंचार्ज तक की प्रतिनियुक्ति भी है। रोजाना वे ड्यूटी भी करते हैं पर मरीज यहां दवा लेने तक नहीं आते। हम बात कर रहे हैं राजगढ़ के लिए प्रसिद्ध पालगंज गांव में स्थित अस्पताल की, जो आज स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार है। यही सब जानने व देखने शनिवार को जागरण टीम अस्पताल 10:54 बजे गई तो अस्पताल खुल चुका था, लेकिन कोई अस्पताल में झाड़ू लगा रहा था। उस समय तक दो कर्मी रामेश्वर राम व पलिया देवी आकर अस्पताल में बैठी थीं। जब यहां पदस्थापित कर्मियों के बारे में पता लगाया गया तो बताया गया कि यहां एक दवा वितरक सरफुद्दीन अंसारी व होमियोपैथिक चिकित्सक डॉक्टर शमसुद्दीन भी रोज दस बजे तक आ जाते हैं, लेकिन शनिवार को वे नहीं पहुंच पाए। वहीं स्वास्थ्य विभाग की बीपीएम सरिता कुमारी से जब यहां की उपस्थिति की जानकारी ली, तो उन्होंने भी कहा कि सब उपस्थित ही होंगे। साढ़े ग्यारह बजे तक अस्पताल में न ही कोई मरीज आया और न ही अन्य कर्मी। उधर पालगंज के निजी प्रैक्टिशनरों के पास रोज सौ-सौ मरीज इलाज करवा रहे हैं और वहां की भीड़ देखते ही बनती है। रामेश्वर राम ने बताया कि शुक्रवार को पांच मरीजों ने यहां से दवा ली है। जब 20 साल पूर्व यहां सौ मरीज इलाज कराते थे तो आज कोई यहां क्यों नहीं आता। अस्पताल कर्मी रामेश्वर राम ने बताया कि यहां कोई दवा की कमी नहीं है। सभी दवा उपलब्ध है, लेकिन कोई पेशेंट नहीं आ रहा है। सरकारी अस्पताल आने से लोग डर रहे हैं। जागरूकता के लिए कई अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जागरण टीम के अस्पताल से चले जाने के बाद बीपीएम ने जानकारी दी कि अस्पताल में बारह बजे दवा वितरक व चिकित्सक पहुंच चुके थे।

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मैं दो तीन दिन इलाज करने पालगंज अस्पताल गया था। यहां न ही चिकित्सक थे और न ही दवा वितरण। यहां लैब उपलब्ध हैं, लेकिन टेक्नीशियन नहीं। बेड और बेड इंचार्ज हैं पर भर्ती कोई नहीं। ऐसा क्यों हो रहा है। प्रतिदिन दो घंटे भी सब अस्पताल कर्मी आ जाएं तो रोज यहां दो सौ मरीजों को लाभ मिलेगा।

--राहुल कुमार चंद्रवंशी पालगंज।

-सरकारी अफसर या कर्मी चाहते ही नहीं हैं कि कोई यहां इलाज कराने आए क्योंकि अगर इलाज कराने कोई जाता है तो उसे कोई छूते तक नहीं हैं। ऐसे में सरकारी अस्पताल में लोग बढि़यां इलाज नहीं होने के कारण नहीं आते। यहां के युवाओं के अनुसार जो इलाज बनता है उस प्रकार इस अस्पताल में इलाज की व्यवस्था की जानी चाहिए। यहां व्यवस्था सब है केवल लापरवाही के कारण इलाज कर्मी नहीं किया करते।

-शौकत आलम, पालगंज।


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