जल संचयन में पेड़-पौधों की अहम भूमिका
गिरिडीह जल संचयन में पेड़-पौधों की अहम भूमिका होती है। पेड़-पौधों के बिना पानी को नहीं बचाया जा सकता। वर्तमान समय में जल का संचयन करना आवश्यक हो गया है। सभी को इस दिशा में आगे आना होगा। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ जंगलों की रक्षा भी करनी होगी।
गिरिडीह : जल संचयन में पेड़-पौधों की अहम भूमिका होती है। पेड़-पौधों के बिना पानी को नहीं बचाया जा सकता। वर्तमान समय में जल का संचयन करना आवश्यक हो गया है। सभी को इस दिशा में आगे आना होगा। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ जंगलों की रक्षा भी करनी होगी। ये बातें वन प्रमंडल पदाधिकारी राजकुमार साह ने गुरुवार को दैनिक जागरण से कही।
उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, जिस कारण जल संकट भी गहराने लगा है। भू-जल स्तर को बनाए रखने के लिए वर्षा जल का संचयन आवश्यक है। साथ ही पेड़ों की सुरक्षा और अधिक से अधिक पौधरोपण करने की आवश्यकता है। ऐसा करने से ही जल संकट का समाधान हो सकता है। जहां भी संभव है लोग पौधे लगाएं और उसे संरक्षित करें। जंगल को बचाने में भी सहयोग प्रदान करें, क्योंकि जंगल प्राकृतिक होते हैं, इसलिए पेड़-पौधे तो लगाए जा सकते हैं, लेकिन जंगल नहीं बनाया जा सकता है। यह बात सभी को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। सरकार जल संचयन को लेकर गंभीर है। वन विभाग भी इस दिशा में गंभीरता से पहल कर रहा है। आम लोग भी अपने-अपने स्तर से जल संचयन के लिए प्रयास करें और इस अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें। पौधरोपण करने वालों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि : डीएफओ ने बताया कि इस वर्ष निजी जमीन पर 100 एकड़ में पौधरोपण कराने का लक्ष्य है। निजी जमीन पर पौधरोपण करने वाले किसानों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान है। किसान पौधरोपण करें और इसका लाभ उठाएं।
नदियों के उद्गम स्थल के पास लगाए जाएंगे पौधे : बताया कि वन विभाग नदियों के किनारे पौध रोपण कर रहा है। हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा नदियों एवं नालों के उद्गम स्थल के आसपास के जंगल को संरक्षित करने की भी योजना है। यदि वहां जंगल नहीं है तो व्यापक पैमाने पर पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए यदि वैसे स्थानों पर गैरमजरुआ जमीन है तो एनओसी लेकर पौधरोपण किया जाएगा।