अंग्रेजी पढ़ाने की इस देसी स्टाइल पर अमिताभ बच्चन भी फिदा
Indigenous style of teaching English. इस स्कूल में इनके अंग्रेजी और गणित पढ़ाने के देसी स्टाइल पर महानायक अमिताभ बच्चन तक फिदा हैं।
गिरिडीह, दिलीप सिन्हा। गिरिडीह, झारखंड के डुमरी प्रखंड स्थित गुलीडाडी गांव। यहां एक स्कूल में शिक्षक हैं परमेश्वर यादव। वे डीएलएड प्रशिक्षणार्थी भी हैं। पूरे इलाके में इनकी अलग पहचान है। दरअसल, उनके अंग्रेजी और गणित पढ़ाने के देसी स्टाइल पर महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर कवि और नेता कुमार विश्र्वास जैसे लोग भी फिदा हैं। इससे परमेश्वर का घोर उपेक्षित गांव अचानक सुर्खियों में आ चुका है।
बच्चों को पढ़ाते हुए परमेश्वर स्थानीय भाषा में गाते हैं- एबीसीडी 26 अक्षरा 26 सों अक्षर अल्फाबेट होवे रे, नुनूरे पांचो गो वोवेल ए, ई, आइ, ओ, यू बाकी सब कोंसोनेंट होवे रे..। इसी तरह रुचिकर अंदाज में वे अंग्रेजी व गणित के अन्य पाठ भी बच्चों को पढ़ाते हैं।
गुलीडाडी में कुछ युवकों ने मिल कर दो कमरे में आरपी प्रोग्रेसिव पब्लिक स्कूल खोला है। इसी में परमेश्वर बतौर शिक्षक नियुक्त हैं। कक्षा एक से चार तक यहां पढ़ाई होती है। गीत संगीत की धुन पर ही वे ठेठ देसी अंदाज में दोनों विषयों की कक्षा लेते हैं। बच्चे परमेश्वर की कक्षा का इंतजार करते हैं। क्योंकि उनकी पढ़ाई रुचिकर होने के साथ बच्चों को पूरी तरह समझ में आती है। परमेश्वर के पढ़ाने की यह स्टाइल सोशल मीडिया में वायरल हो गई। उस पर आप नेता कुमार विश्र्वास की भी नजर गई। उन्होंने ट्वीट कर परमेश्वर का वीडियो अपलोड कर दिया। फिर लिखा, काश! हमें वोवेल और कोंसोनेंट ऐसे किसी म्यूजिकल गुरु ने पढ़ाए होते तो हम भी आज शशि थरूर बाबू की तरह फर्राटे मार के अंग्रेजी बोल रहे होते..। बाद में इसे टैग करते हुए महानायक अमिताभ बच्चन ने भी सराहा।
परमेश्वर बताते हैं कि बच्चे चंचल होते हैं। उनका मन संगीत में खूब रमता है। बस इसी बात को ध्यान में रख पढ़ाई में गीत संगीत का प्रयोग कर रहे हैं। हमारी शिक्षण शैली को अमिताभ बच्चन और कुमार विश्र्वास ने सराहा, इससे कितनी खुशी हुई बयां नहीं कर सकता।
हमें खूब समझ आता है
परमेश्वर के शिक्षण के देसी अंदाज को को मिली पहचान से पूरा गुलीडाडी गांव और खुदीसार पंचायत के लोग गौरवान्वित हैं। छात्र अश्विनी कुमार, बबलू गोप और गोपाल ने बताया कि परमेश्वर सर से पढ़ने में हमें खूब समझ आता है। पढ़ाई में मजा आता है मन रमता है। दो दूनी चार और अन्य पहाड़े वे गीत के अंदाज में पढ़ाते हैं। हर लाइन के बाद हमें भी उच्चारण कराते हैं तो वह याद हो जाता है।