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रजमनियां में गहराया जलसंकट, मचा हाहाकार

प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूर कोडरमा-माखमरगो मुख्य मार्ग पर स्थित है रजमनियां गांव।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 12:50 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 06:31 AM (IST)
रजमनियां में गहराया जलसंकट, मचा हाहाकार
रजमनियां में गहराया जलसंकट, मचा हाहाकार

संवाद सहयोगी, बिरनी, (गिरिडीह): प्रखंड मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूर कोडरमा-माखमरगो मुख्य मार्ग पर स्थित है रजमनियां गांव। यह गांव प्रखंड के अंतिम छोर कोडरमा व हजारीबाग जिले की सीमा पर बसा है। यह गांव दो तरफ से बराकर नदी व घने जंगल से घिरा है। यहां के दर्जनाधिक कुएं व चापाकल दो माह पूर्व सूख चुके हैं। पानी के लिए गांव में हाहाकार मचा है। ग्रामीण तीन किलोमीटर दूर बराकर नदी से पानी लाकर पीने को मजबूर हैं। इस समस्या की सुध किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली है। पेयजल की सुविधा के लिए बगोदर के विधायक करोड़ों की लागत से चानो में पानी टंकी निर्माण करा रहे हैं जिसका काम दो साल से हो रहा है। ठेकेदार की लापरवाही के कारण निर्माण कार्य बहुत धीमा चल रहा है जबकि दो साल में पानी टंकी बनकर तैयार हो जाती। उस टंकी से जलापूर्ति कर लोगों की प्यास बुझाई जाती।

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ग्रामीण क्या कहते हैं:

इस गांव में कभी पानी के लिए हाहाकार नहीं होता था। इस बार तो फरवरी माह से ही गांव में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है। गांव में लोगों को पेयजल की सुविधा के लिए मुखिया की ओर से पानी का टैंकर खरीदा गया है। उससे पानी भी मिला है लेकिन गांव में कुएं व चापाकल सुख गए हैं। तब से लोगों की और काफी समस्या बढ़ गई है।

- आदित्य कुमार, ग्रामीण।

रजमनियां में पहली बार पेयजल की भयावह स्थित उत्पन्न हो गई है। इस गांव के कुएं, चापानल, तालाब, पोखर व डोभा का पानी दो माह पहले सूख चुका है। इससे ग्रामीणों की समस्या बढ़ गई है। ग्रामीण तीन किलोमीटर दूर चलकर बराकर नदी से पानी लेकर प्यास बुझाते हैं। अधिकारी कान में तेल डाल सोए हैं। पानी टंकी निर्माण को तीव्र गति की जगह ठेकेदार धीमी गति से कार्य कर रहे हैं। आने वाले समय में पानी के लिए और भयावह स्थिति उत्पन्न होगी।

- प्रदीप कुमार, ग्रामीण।

2015 के बाद गांव का काफी विकास हुआ है। यहां पेयजल के लिए विधायक की पहल पर पानी टंकी बन रही है। इसके पहले यदि यहां टंकी के निर्माण के लिए किसी जनप्रतिनिधि ने पहल नहीं की थी। 2015 से पहले विधायक ने कभी समस्या के निदान के बारे में नही सोचा था जिस कारण ग्रामीणों को पेयजल की समस्या झेलनी पड़ रही है।

- अरविद कुमार साव, ग्रामीण।

बराकर नदी भी सूख गई है। आदमी किसी तरह से अपनी प्यास बुझा रहा है लेकिन पशु पक्षी पेयजल के लिए व्याकुल हो रहे हैं। तालाब व नदी के पास पशु अपनी प्यास बुझाने पहुंचते हैं। उसे सूखा देख वे लौट जाते हैं। ग्रामीण बराकर नदी में चुआं खोदकर पानी लाते हैं। मुखिया ने पानी टैंकर से पानी की आपूर्ति की थी। किसी तरह कुएं से पानी भरकर गांव में उसकी आपूर्ति की जाती थी, लेकिन तपती धूप ने कुएं व चापाकल का पानी सूखा दिया, जिस कारण टैंकर से आपूर्ति नहीं हो पाती है। टैंकर में पानी किसी के कुएं से भरने नहीं दिया जाता था।

- परमेश्वर साव, ग्रामीण।


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