बूंद-बूंद के लिए तरसाएगी हमारी लापरवाही
जल है तो तो कल हैए इसके बाबजूद जल बेवजह बर्बाद किया जाता हैद्य हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल संकट का समाधान जल संरक्षण से ही हैद्य हम हमेशा यह सुनते आये है किए जल ही जीवन हैद्य जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकतीद्य जीवन के सभी कार्यो का निष्पादन करने के लिए जल की आवश्यकता होती हैद्य जल संकट तो हमारी भूलो और लापरवाहियो से ही उपजा हैद्य हम अनावश्यक रूप से तथा अधिक मात्रा में जल का दोहन कर रहे हैद्य दैनिक उपयोग में आवश्यकता से अधिक मात्रा में जल का अपव्यय करने की आदत ने जल संकट बढ़ा दिया हैद्य जिसका अब सहज ही उपाय वर्षा की पानी को संरक्षित कर पानी
संवाद सहयोगी, खोरीमहुआ (गिरिडीह) : जल है तो कल है। इसके बावजूद जल को बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल संकट का समाधान जल संरक्षण से ही संभव है। जल संकट तो हमारी भूल और लापरवाही से ही उपजा है। हम अनावश्यक रूप से अधिक मात्रा में जल का दोहन कर रहे हैं, जिस कारण जल संकट बढ़ रहा है। बारिश के पानी को संरक्षित करने और जल की बर्बादी को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। दैनिक जागरण के कितना-कितना पानी अभियान के तहत रविवार को धनवार के बरजो स्थित आरके ट्यूटोरियल कोचिग सेंटर में आयोजित परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने ये बातें कही। सरकारी तथा गैर सरकारी कॉलेजों के प्रो़फेसर, शिक्षक व छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने विचार रखे। सभी ने न केवल पानी बचाने का संकल्प लिया।
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इस सदी में सबसे बड़ा संकट जल संकट है। बढ़ती आबादी, जल के उपयोग का तरीका एवं डीप बोरिग इसके कुछ मुख्य कारण हैं। पहले गांवों में कुआं, तालाब, पोखर के माध्यम से जल संरक्षण का काम होता था, लेकिन आज सबको चापाकल चाहिए, जबकि यह जलसंकट का कारण है। जल की समस्या को दूर करने के लिए हमें सबसे पहले चापाकल बोरिग को बंद करना होगा। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे।
रवीन्द्र नाथ सिंह, निदेशक, भाभा पब्लिक स्कूल बरजो
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जल हमारी बुनियादी जरूरतों में से एक है। इसे संरक्षित रखने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें पानी के अपव्यय को रोकना होगा। घर-घर सोख्ता गड्ढा का निर्माण हो। जिससे बरसात का पानी अन्यंत्र न बहकर सोख्ता गड्ढा के माध्यम से जमीन के नीचे जाए। नालियों में बहने वाला पानी को नदी में न बहाकर सोख्ता गड्ढा से जोड़ देना चाहिए। इससे काफी हद तक जल संकट को दूर किया जा सकता है।
प्रो. अनिल कुमार बर्नवाल, आदर्श कॉलेज राजधनवार
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जिस प्रकार आज जल संकट बढ़ता जा रहा है। अगर अभी से ही हम सब पानी के अपव्यय को कम नहीं करेंगे तो आने वाले कुछ सालों में हमें जल के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हमें आने वाली इस मुसीबत पर संकल्प लेकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। लोग जागरूक होंगे तभी जल संकट से आने वाली पीढ़ी को मुक्ति मिल सकती है।
राजेश कुमार शर्मा, संचालक आरके ट्यूटोरियल
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जल की एक-एक बूंद प्राणदायी है। इसे संरक्षित करना हर मानव का परम कर्तव्य है। आसान तरीकों को अपना कर जल संरक्षित किया जा सकता है। हर महिला-पुरुष को इसकी उपयोगिता पर विशेष रूप से सर्तकता बरतनी चाहिए। तभी जल संकट की समस्या से हम उबर पाएंगे।
अरुण चंद्र शर्मा, आदर्श कॉलेज, राजधनवार
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जल संरक्षण पर लोगों को ध्यान देना होगा। गांव कस्बों में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली फैलानी होगी। तभी हमें जल संकट से मुक्ति मिल सकेगी। यह तभी संभव है जब हम सभी अभियान से जुड़कर पानी की बर्बादी पर रोक लगाने के साथ-साथ आसपास के चापाकल, कुआं आदि से बहने वाले पानी को सोख्ता गड्ढा से जोड़ कर जल को संरक्षित करेंगे।
बालदेव कुमार यादव, शिक्षक