कानून की आंख बना उम्रकैद की सजा भुगत रहा अपराधी
कभी कानून को धत्ता बताकर समानांतर व्यवस्था प्रणाली की अगुवाई करनेवाला माओवादी रमेश मंडल अब कानून की आंख बना है।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: कभी कानून को धत्ता बताकर समानांतर व्यवस्था प्रणाली की अगुवाई करनेवाला माओवादी रमेश मंडल अब कानून की आंख बना है। रविवार को सेंट्रल जेल गिरिडीह में डालसा के साक्षात्कार पैनल ने जिन पांच बंदियों को पारा लीगल वोलेटियर चुना है, उनमें रमेश मंडल भी शामिल है।
चुने गए सजायाफ्ता बंदियों में नक्सली रमेश मंडल, अभिषेक शर्मा, संजीत राम, संजय राय और महिला बंदी प्रार्थना कुमारी शामिल हैं। 15 सजायाफ्ता और विचाराधीन बंदियों का साक्षात्कार लिया गया। अधिक अंक पानेवाले बंदियों को पीएलवी बनाया गया। अब ये पीएलवी जेल में बंद बंदियों को कानूनी रूप से जागरूक करेंगे।
जिस राह पर खुद चला, उसपर जाने से रोकेगा दूसरों को: रमेश मंडल पर कई नक्सली मामले दर्ज हैं। उसे पिछले माह विस्फोटक अधिनियम की धारा में आजीवन कारावास की सजा हुई है। बगोदर के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह हत्याकांड के साथ जेल ब्रेक कांड, चिलखारी नरसंहार आदि मामलों में भी वह आरोपित है। जेल आने के बाद वह कानून और संविधान में आस्था जताकर मुख्यधारा से जुड़ गया है। इन सभी का साक्षात्कार सीजेएम अनिल कुमार, डालसा के सचिव मनोरंजन कुमार, जेल अधीक्षक और जेल पैनल अधिवक्ता एके सिन्हा ने लिया।
चयनित पीएलवी का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू: पांच बंदियों के जेल पीएलवी चुने जाने के साथ ही उनका प्रशिक्षण शुरू हो गया। सीजेएम, डालसा के सचिव और जेल के पैनल अधिवक्ताओं ने प्रशिक्षण शुरू किया। यह प्रशिक्षण मंगलवार तक चलेगा। बंदियों को उनका अधिकार मिले, कोई भी बंदी कानून की जानकारी के अभाव में अपने अधिकार से वंचित नहीं रहे, यह सुनिश्चित करना पीएलवी की जिम्मेदारी होगी।
- अनिल कुमार, सीजेएम।
जो बंदी देश के कानून और संविधान में आस्था रखता हो, उसकी सेवा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकार में ली जाती है।
- मनोरंजन कुमार, सचिव डालसा।