सरफराज की अनदेखी से हो सकता नुकसान
गांडेय विधान सभा में अगर यू पी ए के द्वारा डॉक्टर सरफराज अहमद कीअनदेखी की गई तब इसका खामियाजा गिरिडीह विधान सभा में भुगतना पड़ेगा।ये बातें कांग्रेस पार्टी के प्रदेश डेलीगेट सह जिला उपाध्यक्ष कांग्रेस कमे टी के जैनुल अंसारी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही।कहा इतिहास गवाह है कि गांडेय विधान सभा अकलियतों के सहयोग से ही जीता जा सकता है।इसे दरकिनार कर कोई भी पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकता है। कहा सन 1977 से यह विधान सभा अकलियतों के ही इर्द गिर्द
छोटकी खरगडीहा : गांडेय विधानसभा में अगर यूपीए ने सरफराज अहमद की अनदेखी की तो इसका खमियाजा गिरिडीह विधानसभा में भुगतना पड़ेगा। ये बातें कांग्रेस के प्रदेश डेलीगेट सह जिला उपाध्यक्ष जैनुल अंसारी ने कही। कहा कि गांडेय विधानसभा को अकलियतों के सहयोग से ही जीता जा सकता है। वर्ष 1977 से यह विधानसभा अकलियतों के ही इर्द गिर्द घूम रहा है। 1980 के चुनाव में सरफराज अहमद चुनाव जीते और झामुमो के सलखान सोरेन तीसरे नंबर पर रहे। 1985 के चुनाव में कांग्रेस के अबू अख्तर और कम्युनिस्ट के याकूब के चुनाव लड़ने से कांग्रेसियों ने यह सीट गंवा दी और यह सलखन सोरेन की झोली में चला गया। 1990 में पुन: सलखन सोरेन ने जीत हासिल की जबकि 1995 में भाजपा के लक्ष्मण स्वर्णकार ने चुनाव जीता। 2000 में पुन: सरफराज अहमद चुनावी मैदान में उतरे। एक लंबे अंतराल के बाद चुनावी मैदान में उतरने पर इन्हें कम मत मिला। बावजूद इसके 2005 के चुनाव में अहमद ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और मात्र बारह सौ मतों से पिछड़ गए। अंसारी ने यह मांग की है कि अहमद को चुनावी मैदान में उतारा जाए और तभी यूपीए इस सीट को अपनी झोली में डाल सकता है।