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देशभर में फैला है रेलवे ई-टिकटिग रैकेट का जाल

अंतराष्ट्रीय ई रेलवे टिकटिग गिरोह में टिकट का फर्जीवाड़ा करने के लिए पूरे देश में नेटवर्क फैला है। इस गिरोह के साथ 20 हजार से भी अधिक एजेंट एवं 200 से 300 पैनल कार्यरत हैं। गिरोह डार्कनेट एवं एएनएमएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से फटाफट तत्काल टिकट बनाता था। इस गिरोह को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के साथ साथ साथ

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:00 AM (IST)
देशभर में फैला है रेलवे ई-टिकटिग रैकेट का जाल
देशभर में फैला है रेलवे ई-टिकटिग रैकेट का जाल

गिरिडीह : अंतराष्ट्रीय ई रेलवे टिकटिग गिरोह में टिकट का फर्जीवाड़ा करने के लिए पूरे देश में नेटवर्क फैला है। इस गिरोह के साथ 20 हजार से भी अधिक एजेंट एवं 200 से 300 पैनल कार्यरत हैं। गिरोह डार्कनेट एवं एएनएमएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से फटाफट तत्काल टिकट बनाता था। वहीं एएनएमएस सॉफ्टवेयर को देश के विभिन्न हिस्सों में फैले एजेंटों को मोटी रकम में बेची जाती है।

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इस गिरोह को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के साथ साथ साथ फर्जी आधार व पैन कार्ड बनाने में भी महारथ हासिल था। टिकट बनाने से पहले यह गिरोह फर्जी नाम से आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाता था। पुन: फर्जी डॉक्यूमेंट को टिकट बुकिग के लिए इस्तेमाल करता था।

तत्काल टिकट खरीदने वाले लोगों को बनाते शिकार : वर्तमान में भागदौड़ भरी जिदगी में लोगों को रोजगार या किसी अन्य कार्य से दूसरे शहरों में आना जाना लगा रहता है। रेलवे के तत्काल टिकट महज कुछ मिनटों में ही कंप्लीट हो जाते है। इसलिए कंफर्म टिकट के लिए यात्री टिकट एजेंट का सहारा लेते हैं। इस समय गिरोह से जुड़े एजेंट अपने एएनएमएस सॉफ्टवेयर की मदद से कन्फर्म टिकट बनाकर मुहैया कराते हैं। इसके एवज में यात्रियों से मोटी रकम की वसूली की जाती है।

-रेलवे के बुकिग सॉफ्टवेयर को किया जाता है हैक : रेलवे के द्वारा तत्काल टिकट बुकिग के लिए आइआरसीटीसी और क्रिस एप्प जारी किया गया है। इस एप्प के कार्य प्रणाली को समझने के बाद गिरोह के टेक्निकल नेटवर्क एक नए सॉफ्टवेयर एएनएमएस का इजात किया जो रेलवे के सॉफ्टवेयर से तेजी से कार्य करती है। साधारणतया तत्काल टिकट बुक करने के लिए लिक खुलने के बाद यात्री का डिटेल भरा जाता है, उसके बाद ही टिकट बुकिग होता है। परंतु गिरोह के द्वारा इजात किये गए एएनएमएस सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल टिकट बुकिग शुरू होने से पहले ही यात्री का डिटेल भरकर कंप्लीट किया रहता है। ज्योंही तत्काल बुकिग का लिक खुलता है गिरोह का अधिकांश टिकटों की बुक कर लेता है। जबकि सरकारी सॉफ्टवेयर यात्री के डिटेल भरने में ही रह जाती है। जिससे महज दो चार टिकट ही बुक कर सकती थी।

-तत्काल टिकट बुक कराने के लिए खोले जाते फर्जी खाते : टिकट गिरोह का काम पूरे देश में चलता था। फर्जी टिकट बुकिग के लिए देश के विभिन्न बैंक के शाखाओं में फर्जी खाता भी खुलवाया गया था। उसी फर्जी खाते की मदद से तत्काल टिकट के लिए राशि का पेमेंट किया जाता था। पुलिस कब जांच के दायरे से बचने के लिए ही फर्जी खातों का इस्तेमाल करती थी। वहीं अधिक टिकटों की बुकिग के लिए सैकड़ों फर्जी आईडी बनाकर गिरोह के सदस्य कार्य करते थे।

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गुलाम मुस्तफा की गिरफ्तारी से अचंभित हैं ग्रामवासी

बिरनी : गुलाम मुस्तफा की गिरफ्तारी से उसके गांव दलांगी के लोग अचंभित हैं। किसी को यह विश्वास नहीं हो रहा है कि उसका किसी अंतरराष्ट्रीय रैकेट से कोई रिश्ता हो सकता है।

दलांगी के मुखिया महफूज आलम ने कहा कि घटना की जानकारी मिली है। सच्चाई क्या है इसकी जानकारी नहीं है। हालांकि गुलाम मुस्तफा ने शुरू से ही बाहर रहकर पढ़ाई की है। उसने इंजीनियरिग की पढ़ाई भी नहीं की है जो इतने बड़े साफ्टवेयर को बना सकता है। वह त्योहारों पर घर आता था पर किसी से कोई ताल्लुक नहीं रखता था। जब एजेंसी जांच कर रही है तो यह मामला सामने आया है। हाफिज के माता पिता खेती कर जीविकोपार्जन करते हैं।

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वर्जन

वरीय पदाधिकारी से गुलाम मुस्तफा के आईडी का सत्यापन कराया गया। दूसरे व्यक्ति शमीम अंसारी के आईडी का सत्यापन किया गया। रेलवे पुलिस उसे बीते मंगलवार शाम को घर से गिरफ्तार कर धनबाद ले गई। वरीय पदाधिकारी का जो आदेश होगा उस तरह की कार्रवाई इसमें की जाएगी।

अर्जुन कुमार मिश्रा, थाना प्रभारी


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