व्यवस्था की बेरुखी से विकास बदरंग
संवाद सहयोगी, बगोदर( गिरिडीह): प्रशासनिक अनदेखी का उदाहरण है गिरिडीह जिले की पोखरिया पंचायत।
संवाद सहयोगी, बगोदर( गिरिडीह): प्रशासनिक अनदेखी का उदाहरण है गिरिडीह जिले की पोखरिया पंचायत। आदर्श बनाने के लिए यहां के गांवों को आठ माह पहले गोद लेने की घोषणा की गई थी। संबंधित अधिकारी ने ग्रामीणों को विकास का सपना दिखाया था। मगर, घोषणाएं कागजों पर ही सिमट कर रह गईं। इसलिए समस्याएं जस की तस है और यह गांव गोद लेने के बाद भी अनाथ है। कहने का मतलब है कि व्यवस्था की बेरुखी से यहां का विकास बदरंग है।
बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री ने समुचित विकास के लिए गांवों को गोद लेने का निर्देश दिया था। मॉडल बनाने की जिम्मेदारी बीडीओ से लेकर उपायुक्त तक को सौंपी गई थी। सरकार के निर्देश के बाद अधिकारी सक्रिय हुए। बगोदर की तत्कालीन बीडीओ प्रीति किस्कू ने प्रखंड की पोखरिया पंचायत को 27 जनवरी को गोद लिया था। लेकिन इसके बाद प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली। कुछ माह बाद प्रीति किस्कू का तबादला हो गया। अब रवींद्र कुमार बगोदर के बीडीओ हैं। अब इन पर लोगों की निगाहें टिकी हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने भी इस पंचायत की ओर नहीं झांका है। इस पंचायत में दो राजस्व गांव तारानारी व पोचरी हैं।
ग्रामीणों की मानें तो पंचायत के सर्वांगीण विकास के लिए तत्कालीन बीडीओ ने 10 फरवरी को जनता व प्रतिनिधियों संग बैठक की थी। इस दौरान विकास की रूपरेखा भी बनाई गई थी। मगर, छह माह बीत जाने के बाद भी इस पंचायत की समस्याएं जस की तस है। इस पंचायत में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल व बिजली की समस्या बरकरार है। पंचायत में कोई स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। सड़क की स्थिति दयनीय है। पेयजल के लिए बनी टंकी शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। इस पंचायत को 27 जुलाई को ओडीएफ घोषित किया गया था। यहां 631 शौचालयों का निर्माण कराना था। इनमें अभी तक 375 ही पूरे हुए हैं।