रहस्य बनकर रह गया छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या
जिले में दुष्कर्म व हत्या के कई ऐसे मामले हैं जो सालों से रहस्य बने हुए हैं। कारण आज तक इनके दुष्कर्मियों व हत्यारों का पता ही नहीं चल सका है। गिरिडीह जिले के क्रूर और अनसुझले इन अपराधों को दैनिक जागरण ने ठंडे बस्ते से उठाकर सरकार और प्रशासन को फिर से संज्ञान में दिलाने के लिए कातिल कौन अभियान शुरू किया है। इसकी पहली कड़ी में हमने अति नक्सल प्रभावित भेलवाघाटी की एक आदिवासी नाबालिग छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले को उठाया था
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह : गिरिडीह जिले में दुष्कर्म व हत्या के कई ऐसे मामले हैं, जो सालों से रहस्य बने हुए हैं। कारण, आज तक इनके दुष्कर्मियों व हत्यारों का पता ही नहीं चल सका है। गिरिडीह जिले के क्रूर और अनसुझले इन अपराधों को दैनिक जागरण ने ठंडे बस्ते से उठाकर सरकार और प्रशासन को फिर से संज्ञान में दिलाने के लिए कातिल कौन अभियान शुरू किया है। पहली कड़ी में हमने अति नक्सल प्रभावित भेलवाघाटी की एक आदिवासी नाबालिग छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले को उठाया था। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने इसे संज्ञान में लिया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष मामला ले जाने का ऐलान किया है।
दूसरी कड़ी में हम बिल्कुल भेलवाघाटी की ही तरह बिरनी में घटी एक युवा स्नातक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के मामले से आपको रूबरू करा रहे हैं। इस मामले में भी पुलिस करीब छह साल बाद भी अंधेरे में तीर चला रही है। आज भी पुलिस यह नहीं पता लगा सकी है कि दुष्कर्म कर छात्रा को जान से मार डालनेवाले लोग कौन हैं? मृत छात्रा के पिता जो भाजपा नेता हैं ने इंसाफ के लिए बिरनी थाना से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक फरियाद की, लेकिन उसे आज तक इंसाफ नहीं मिल सका है।
---------------
दरिंदों ने किया दुष्कर्म, फिर गला दबाकर ले ली जान
पांच नवंबर 2014 की सुबह करीब सात बज रहे थे। बिरनी थाना क्षेत्र के एक गांव के लोग सोकर उठे ही थे कि गांव के बगल में तालाब किनारे एक युवती का शव पड़ा था। उसके कपड़े फटे हुए थे। लोग जब शव के पास पहुंचे तो देखा कि वह शव गांव की ही एक बेटी का था। बगल की एक चाहरदीवारी में उसे घसीटकर दरिंदें ले गए थे। दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी। फिर शव को तालाब किनारे लाकर फेंक दिया था। छात्रा सुबह करीब छह बजे सोकर उठने के बाद शौच के लिए गई थी।
पूरे इलाके में इस घटना से आक्रोश फैल गया था। स्कूलों और कॉलेजों में कैंडल मार्च निकाले गए थे। बिरनी प्रखंड कार्यालय पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धरना पर बैठ गए थे। मृतक महिला के पिता बाबूलाल के ही कार्यकर्ता थे। तत्कालीन एसपी क्रांति कुमार मौके पर पहुंचे थे और सभी दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दिलाने का भरोसा दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छात्रा के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी।
---------
इंसाफ के लिए छह साल से लड़ रहा पिता, चैन से सो रहे दरिदे
अपनी बेटी के दरिदों तक कानून को पहुंचाने के लिए भाजपा नेता पिछले छह साल से लगातार संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक सफलता नहीं मिली है। छह साल बाद भी सभी दरिंदे चैन से सो रहे हैं। छात्रा की हत्या के मामले में शुरुआत में अज्ञात लोगों के खिलाफ दुष्कर्म व हत्या की प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
करीब दो महीने बाद विभिन्न स्त्रोतों के जरिए पिता को मालूम हुआ कि ये दरिदें कोई बाहर के नहीं थे, बल्कि उनके गांव के ही थे। इसके बाद पिता ने ऐसे चार लोगों के खिलाफ इस कांड में शामिल होने की लिखित जानकारी तत्कालीन एसपी क्रांति कुमार, एसडीपीओ राजकुमार मेहता एवं बिरनी थाना के अवर निरीक्षक जो इस कांड के अनुसंधानकर्ता थे को दी थी। भाजपा नेता का कहना है कि शुरुआत में तत्कालीन एसडीपीओ ने गंभीरता दिखाई, लेकिन बाद में वे पलट गए। अनुसंधानकर्ता पासवान पर उन्होंने आरोपितों से सीधे मिले होने की शिकायत की। जब कोई कार्रवाई नहीं होने लगी तो उन्होंने अपनी पार्टी के विधायक प्रदीप यादव से विधानसभा में यह मामला उठवाया। सरकार ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन यह आश्वासन बनकर ही रह गया। जिन चार लोगों की उन्होंने लिखित शिकायत की थी उनका ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके आधार पर पुलिस ने उन्हें आरोपित बनाने से इंकार कर दिया। अदालत के आदेश पर चारों संदिग्धों का दुबारा ब्लड सैंपल लिया गया। भाजपा नेता की शिकायत है कि उनकी अनुपस्थिति में पुलिस ने ब्लड सैंपल लिया। इसे लेकर हंगामा भी हुआ था।
भाजपा नेता ने इंसाफ के लिए प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को भी पत्र लिखा। थक हार कर भाजपा नेता मुख्यमंत्री जनसंवाद में पहुंचे। फरवरी एवं अगस्त 2018 दो बार मुख्यमंत्री जनसंवाद में यह मामला उठाया और सीबीआइ जांच की मांग की। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सीबीआइ से आए अधिकारी पंकोज कंबोज डीआइजी हैं। उनसे जांच करवाते हैं। जड़ तक जाकर ये अपराधियों को खोज निकालेंगे।
---------
डीआइजी ने की जांच, पुलिस की लापरवाही आई सामने
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर उत्तरी छोटानागपुर के तत्कालीन डीआइजी पंकज कंबोज छह दिसंबर 2018 को जांच के लिए मृतक छात्रा के गांव पहुंचे थे। उनके साथ गिरिडीह के तत्कालीन एसपी सुरेंद्र कुमार झा भी थे। डीआइजी ने जांच के दौरान पुलिस अनुसंधान में खामियों को उजागर किया था। अनुसंधानकर्ता पर कार्रवाई के संकेत भी दिए थे। दुष्कर्म व हत्या के बाद घटनास्थल से छात्रा का सेनेटरी पैड, दुपट्टा, चप्पल, माथे का क्लिप व खून का धब्बा का सैंपल मिला था। पुलिस ने इन सभी को जब्त तो किया, लेकिन उसे जब्ती सूची में अंकित नहीं किया। डीआइजी जांच कर लौट गए और अनुसंधान की जिम्मेवारी पुलिस इंस्पेक्टर आरएन चौधरी को सौंप दी। डीआइजी की जांच रिपोर्ट क्या है, इसका खुलासा आज तक नहीं हो सका। भाजपा नेता ने बताया कि इंस्पेक्टर आरए चौधरी आते हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। दरिंदें आज भी बेखौफ हैं।