पढ़ाई में जीरो, साइबर अपराध में बना हीरो
साइबर अपराध की दुनिया में कदम रखकर पलक झपकते ही लोगों को चूना लगाकर ठगी करने वाले अधिकांश आरोपित पढाई में जीरो हैं लेकिन साइबर अपराध में महारत हासिल कर देश दुनिया में ठगी के हीरो बन गए हैं।
प्रभात कुमार सिन्हा, गिरिडीह : साइबर अपराध की दुनिया में कदम रखकर पलक झपकते ही लोगों को चूना लगाकर ठगी करने वाले अधिकांश आरोपित पढ़ाई में जीरो हैं लेकिन साइबर अपराध में महारत हासिल कर देश-दुनिया में ठगी के हीरो बन गए हैं। बैंक अधिकारी बनने के लिए काफी मेहनत करने के बजाए शार्टकट रास्ता अपनाकर फर्जी बैंक अधिकारी बनने की ख्वाहिश पूरा करते हुए अकूत संपत्ति अर्जित कर आलीशान भवन से लेकर विलासिता संबंधी सामानों से घरों को सजा कर रख दिया है। अब तक जितनी भी गिरफ्तारी हुई है उनमें दस प्रतिशत से भी कम साइबर आरोपित उच्च शिक्षा ग्रहण किए हैं।
इस धंधे में संलिप्त नब्बे प्रतिशत के करीब ऐसे साइबर आरोपित हैं जो या तो ठेपाधारी हैं या न तो स्कूल का मुंह देखे हैं। कुछ ऐसे भी साइबर आरोपित हैं जो प्राइमरी शिक्षा तक स्कूल की दहलीज पार किए हैं। पढ़ाई करने में मेहनत कर अधिकारी बनने का सपना भी नहीं देखा होगा, लेकिन जामताड़ा जिले से निकला साइबर अपराध का धंधा इस कदर फैला कि एक के बाद एक युवा इससे जुड़ते गए और वर्तमान समय में साइबर अपराध में संलिप्त रहकर लोगों के खाते से राशि टपाने वालों का महाजाल चारो ओर बिछ गया है। यूं कहें कि साइबर अपराध के मामले के आरोपितों को मामूली एबीसीडी का ज्ञान तक नहीं है, लेकिन मोबाइल पर इंग्लिश में एप को डाउनलोड करने से लेकर फर्जी लिक तैयार करने में मानो डिग्री हासिल कर ली हो। साइबर अपराध में संलिप्त आरोपितों के पास से बरामद होने वाले साक्ष्य के रूप में मोबाइल खंगालने के बाद पुलिस भी उनके करतूत से दंग रह जाती है। साइबर ठगी को अंजाम देने की नियत से खाताधारकों के पास कॉल करने वाले फर्जी बैंक अधिकारी बनकर इस लहजे में बात करते हैं कि अच्छे-अच्छे भी उनके मायावी बातों में फंसकर खाते से लेकर एटीएम तक की गोपनीय जानकारी पलक झपकते ही दे बैठते हैं और उसके चंद मिनट बाद उनके खाते से राशि टपा ली जाती है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें साइबर अपराध से जुड़े युवकों ने लोगों के खातों को साफ कर दिया है। इस ठगी के पैसे से ये ठेपाधारी से लेकर ननमैट्रिक तक के साइबर आरोपित मालामाल होकर जहां एक ओर विलासिता संबंधी सामानों से आलीशान भवन को सजा लिया है, लेकिन जिनके खातों से राशि टपाई गई वे आज भी आर्थिक रूप से टूटकर आंसू बहा रहे हैं।
कोई ठेपाधारी तो कोई पांचवीं के बाद नहीं देखी किताब
साइबर अपराध से जुड़े युवाओं ने तो डिग्री व इंजीनियरिग की पढ़ाई करने वालों को भी पीछे छोड़ दिया है। साइबर अपराध का प्रशिक्षण पाकर नित्य नई-नई तकनीकों का इजाद कर लोगों को ठगने मं जुटे हैं। चेहरे से मासूम लगने वाले ये युवक खातों से रुपया टपाने में काफी माहिर हैं। कहने को तो चोरी करने को भी पढ़ाई जरूरी कहा गया है, लेकिन साइबर अपराध के मामले में जुड़कर रातोरात मालामाल होने वाले अधिकांश साइबर अपराधी न तो स्कूल की कक्षा की है न हीं उच्च शिक्षा हासिल की है। ठेपा देकर काम चलाने वाले पढ़े लिखे का कान काट रहे हैं।
कोई समोसा बेच तो कोई अन्य तरीके से करता था साइबर अपराध : साइबर अपराध जुड़कर अकूत संपति बनाने वालों की बात भी निराली है। कोई समोसा की दुकान चलाता था और समोसा गढते हुए मोबाइल की बटन से साइबर अपराध करने में जुटा रहा तो कोई खेत में हल चलाकर खेती करते हुए साइबर अपराध को कमाई का जरिया बना लिया था। कोई पार्लर की आड़ में तो कोई अन्य जरीया अपनाकर इस धंधे को अंजाम देकर मालामाल होने में लगा रहा।
कई युवाओं ने अर्जित कर ली अकूत संपत्ति : साइबर अपराध से कई युवाओं ने अकूत संपति के साथ अन्य सामानों को अर्जित कर लिया है। ऐसे ही एक साइबर आरोपित है गांडेय थाना क्षेत्र के महेशमुंडा बजरंगबली मंदिर के पास रहने वाला मंटू मंडल। उसे साइबर पुलिस ने साइबर अपराध में उपयोग की जाने वाली मोबाइल समेत अन्य सामानों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। उसने साइबर अपराध से करोडों की संपति हासिल की है। गिरिडीह-गांडेय पथ पर लाखों की लागत से बनाया गया आलीशान मकान उस पथ से गुजरने वाले हर व्यक्ति को अपने आकर्षण के बल पर अपनी ओर खींच ही लेता है। घर के इलेक्ट्रानिक उपकरण देखकर पुलिस भी अचंभित रह गई है। पुलिस मंटू की संपति को ईडी को सौंपने की प्रक्रिया में जुटी है। इसके अलावा भी दर्जनों साइबर आरोपितों ने अकूत संपति हासिल कर रखा है।