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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया 15 लाख की लागत से बना चेकडैम

गावां जल संरक्षण एवं कृषि कार्यो को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार कई तरह की

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 06:15 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 06:15 PM (IST)
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया 15 लाख की लागत से बना चेकडैम
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया 15 लाख की लागत से बना चेकडैम

गावां : जल संरक्षण एवं कृषि कार्यो को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। पानी की लगातार बढ़ती किल्लत ने लोगों की परेशानी धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू कर दिया है। अब सरकार जल संचय को लेकर गंभीर नजर आ रही है। साथ ही, लोगों को जल के संचयन को लेकर जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है, लेकिन सरकारी योजनाओं के तहत जल संचयन व कृषि कार्य के लिए बनाए गए बड़े-बड़े चेकडैम के निर्माण में ठेकेदार ने जमकर लापरवाही बरती है। बादीडीह पंचायत के परसौनी में 15 लाख की लागत से एनआरईपी द्वारा चेकडैम व पैन (नाला) निर्माण किया गया था, लेकिन ठेकेदार ने अपना कमीशन रखकर कार्य करने का जिम्मा पेटी पर स्थानीय व्यक्ति को दे दिया था। नतीजा यह हुआ कि निर्माण कार्य को पूरा भी नहीं किया गया। चेकडैम के साथ बनने वाले पैन (नाला) का निर्माण भी नहीं किया गया। साथ ही चेकडैम में गेट भी नहीं लगाया गया। स्थिति यह हुआ कि जब पहाड़ के नाले से पानी उतरा तो चेकडैम में पानी रुका ही नहीं। पंडरिया, खंडौत, बादीडीह, भीखी एवं परसौनी के किसानों में जो चेकडैम निर्माण को लेकर उत्साह था वो गायब हो गया। कुछ दिनों तक तो किसान चेकडैम के पास पानी रोकने के लिए गेट पर मिट्टी का ढेर लगाते थे वे उस पानी का उपयोग खेती करने में लाते थे, लेकिन बरसात में मिट्टी पानी के बहाव में कट जाता था, जिससे किसानों को काफी परेशानी होती थी। इस चेकडैम के अगल-बगल लगभग 100 एकड़ भू-भाग ऐसा है जहां गेहू व धान की खेती हो सकती है, लेकिन सिचाई का साधन नहीं रहने से किसान मायूस हैं। जिनके पास पैसा या अन्य साधन जैसे डिजल पम्प सेट है वे तो किसी प्रकार खेती कर लेते हैं, लेकिन गरीब किसानों के खेत आज भी सिचाई के अभाव में परती रह जाते हैं। साथ ही चेकडैम का निर्माण कार्य अगर सही से हुआ रहता तो जल संचयन भी होता, जिससे आसपास के कुआं, चापाकल आदि का जल स्तर भी बरकरार रहता। आज आलम यह है कि चेकडैम में पानी रहता ही नहीं है, जिस कारण चेकडैम से जो भी उम्मीदें किसानों को थी वो धरी की धरी रह गई। दलितों के इस परसौनी गांव में आज सोलर लगाकर टंकी का निर्माण कराया गया है, जिससे गांव के लोगों की प्यास बुझती है।

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परसौनी गांव की दाई ओर पहाड़ से आनेवाले नाले को बांधकर सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यहां चेकडैम का निर्माण कराया गया था, लेकिन निर्माण कार्य अधूरा रहने व गेट आदि नहीं लगाने से चेकडैम का लाभ शुरुआत से ही लोगों को नहीं मिला है।

छोटू रविदास, परसौनी

जल के बिना जीवन की परिकल्पना ही अधूरी है, जल नहीं तो कुछ भी नहीं है। जल की जरूरत हर जीव जन्तुओं को है। यहां बनाए गए चेकडैम के टूट जाने से कार्य की गुणवत्ता पर तो सवाल खड़ा हुआ ही किसानों का सपना भी टूट गया।

अशोक रविदास, परसौनी


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