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घरों में अता की दूसरे जुमे की नमाज, मस्जिदों में सन्नाटा

सरिया माह-ए-रमजान के दूसरे जुमे को सरिया क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में वीरानी छाई रही।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 06:56 PM (IST)
घरों में अता की दूसरे जुमे की नमाज, मस्जिदों में सन्नाटा

सरिया : माह-ए-रमजान के दूसरे जुमे को सरिया क्षेत्र की विभिन्न मस्जिदों में वीरानी छाई रही। सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए लोगों ने स्वेच्छा से अपने-अपने घरों में अकीदत के साथ नमाज पढ़ी। नमाज के बाद देश में कोरोना महामारी को मात देने सहित अमन चैन की दुआ अल्लाहताला से की गई। नगर पंचायत सरिया के अलावा नावाडीह, बिहेरवाटांड, दर्जी मोहल्ला, बलीडीह, चीरूवां, कुशमर्जा, बंदखारो, मोकामो, पुरनीडीह, उर्रो, अमनारी, खेरोन सहित कई गांवों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों में नमाज अता की। बलीडीह गांव के मोहम्मद जाहिद अली ने बताया कि रमजान महीने में सभी व्यस्क मुसलमान रोजा रखते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी खुशी-खुशी रोजा रखते हैं। मुसलमानों के पैगंबर ने कहा है कि रमजान भाईचारे का मजहब है। गमखारी का महीना है। लोगों के दुख-दर्द में काम आने का महीना है। बरकत का महीना है। रोजा रखने का मकसद अंतरात्मा को जगाना होता है, जिससे इंसान बुराइयों पर काबू पा सके और अपने आप को बुराइयों से रोक सके। रमजान के महीने में रोजेदार खुद भूखा रहकर लोगों के भूखे प्यासे रहने का एहसास करता है। यह महसूस करता है कि जब कोई दूसरा भूखा और प्यासा हो तो कितनी तकलीफ होती है। रोजा रखने से यह सबक मिलता है। इसलिए रमजान का एक महीना भूखा प्यासा रहकर बाकी 11 महीने का रिहर्सल कराया जाता है, ताकि आदमी पूरे साल के 12 महीने इसी तरह जीवन यापन करें। बुराइयों से बचें। दूसरों के दुख-दर्द में काम आएं। यही रमजान का पैगाम है।

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