सदन में सरकार को समर्थन और विरोध में विधानसभा मार्च
गिरिडीह भाकपा माले ने सूबे की हेमंत सरकार को लिखित समर्थन दिया है। माले सदन के अंदर स
गिरिडीह : भाकपा माले ने सूबे की हेमंत सरकार को लिखित समर्थन दिया है। माले सदन के अंदर सरकार को समर्थन देकर सत्ताधारी घटक दल का हिस्सा बन गई है। इसके बावजूद माले हेमंत सरकार के खिलाफ सदन के बाहर मोर्चा खोल रही है। युवाओं को रोजगार के सवाल पर हेमंत सरकार के खिलाफ माले की युवा संगठन इंकलाबी नौजवान सभा ने 15 मार्च को विधानसभा मार्च का ऐलान किया है। माले की युवा संगठन इंकलाबी नौजवान सभा ने इस मार्च का आयोजन किया है।
नौजवान सभा ने कोडरमा के तिलैया में छह एवं सात फरवरी को प्रांतीय स्तर का प्रशिक्षण शिविर लगाकर विधानसभा मार्च का ऐलान किया था। इस मौके पर विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व विधायक राजकुमार यादव, राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद समेत माले के सभी दिग्गज नेता मौजूद थे।
माले की पूरी टीम इस कार्यक्रम को लेकर लगी हुई है। सरकार के खिलाफ माले सभी प्रखंडों में आंदोलन कर रही है। माले का आरोप है कि चुनाव में युवाओं को रोजगार देने का वादा कर हेमंत सोरेन सत्ता पर काबिज हुए। सरकार बनने के इतने समय बाद भी
युवाओं को रोजगार नहीं मिला।
माले की इस रणनीति के कारण उसके प्रभाव क्षेत्र में माले एवं झामुमो के रिश्ते बिगड़ रहे हैं। बगोदर विधानसभा क्षेत्र में झामुमो खुलकर माले का विरोध कर रहा है। इधर भाजपा माले पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रही है।
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दस मुद्दों पर दिया है समर्थन :
माले विधायक विनोद सिंह ने दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर दस मुद्दों पर सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। इसमें उन्मादी हिंसा के शिकार लोगों एवं उनके परिवार को न्याय दिलाने, राशन, किरासन, पेंशन, आवास सुविधा उपलब्ध कराने, भूख से मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने, पत्थरगढ़ी व आदिवासी आंदोलनों में शामिल लोगों पर लगे राष्ट्रदोह के मुकदमों को खारिज करने, स्थानीयता नीति में बदलाव कर बेरोजगारों को रोजगार देने, बंद किए गए स्कूलों को चालू करने एवं पारा शिक्षकों व आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों को पूरा करने आदि प्रमुख है।
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झारखंड की जनता ने भाजपा के खिलाफ जनादेश दिया था। इस कारण पार्टी ने मुद्दों के आधार पर हेमंत सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। पार्टी को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार की गलतियों को हेमंत सरकार सुधारेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनाव के समय हेमंत सोरेन प्रत्येक साल पांच लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था। पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने एवं अनुबंधकर्मियोंकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया था। सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इस कारण माले ने आंदोलन का रास्ता अपनाया। असली विपक्ष की भूमिका माले निभा रही है। भाजपा सिर्फ गद्दी पाने के लिए सरकार का विरोध कर रही है।
संदीप जायसवाल, राष्ट्रीय सचिव इंकलाबी
नौजवान सभा
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मलाई खाने के लिए माले सरकार को विधानसभा में समर्थन देती है और
जनता को गुमराह करने के लिए सड़कों पर सरकार का विरोध करती है। यदि सरकार के विरोध में है तो पहले सरकार से समर्थन वापस ले। माले का कोई स्टैंड नहीं है। इसकी कथन और करनी में काफी अंतर है। सामंतवाद का विरोध करती है और इसके नेता एवं कैडर खुद पूंजीपति बन गए हैं। जनता को गुमराह करने के लिए ही माले अब विधानसभा मार्च का नाटक कर रही है। जनता अब झांसे में आनेवाली नहीं है।
आशीष कुमार बोर्डर, पूर्व जिलाध्यक्ष भारतीय जनता युवा मोर्चा