जमीन कब्जा का आरोप लगा विधायक के बेटे-भतीजों के खिलाफ आमरण अनशन
जमुआ विधायक केदार हा•ारा के परिजनों द्वारा गांव के ही दूसरे व्यक्ति की खतियानी जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगा है।मामला विधायक के पैतृक गांव जमुआ के कारोडीह गांव का है।थाना अंचल और अनुमंडल कार्यालय में इस बाबत लिखित सूचना देने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नही होने पर पीड़ित परिवार के आधा दर्जन लोग मंगलवार को अंचल कार्यालय के पास आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
जमुआ : जमुआ विधायक केदार हाजरा के परिजनों पर गांव के ही दूसरे व्यक्ति की खतियानी जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगा है। मामला विधायक के पैतृक गांव कारोडीह गांव का है। थाना, अंचल और अनुमंडल कार्यालय में इस बाबत लिखित सूचना देने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित परिवार के आधा दर्जन लोग मंगलवार को अंचल कार्यालय के पास आमरण अनशन पर बैठ गए।
अनशन पर बैठे गोपाल कुमार यादव, प्रभु यादव, अर्जुन महतो, शंकर यादव, सोमर महतो और अशोक कुमार यादव ने बताया कि मौजा कारोडीह में तीन एकड़ 54 डिसमिल उन सबकी खतियानी जमीन है, जो सर्वे खतियान में उनके परदादा तुलवा महतो के नाम से दर्ज है। इसकी मालगुजारी रसीद वर्ष 2020-21 तक निर्गत है। फिलहाल खतियानी रैयती जमीन पर विधायक केदार हाजरा का भतीजा हरि हाजरा व भगीरथ हाजरा, भाई नकुल हाजरा और पुत्र कृष्णा हाजरा जबरन मकान का निर्माण करा रहे हैं। अंचल अधिकारी, थाना प्रभारी और अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन देने के बाद भी अब तक किसी तरह की कार्रवाई नही की गई है। मजबूरन उन सबों को आमरण अनशन पर बैठना पड़ा है। उक्त सभी ने जांच पड़ताल कर न्याय देने की मांग उपायुक्त से की है।
माले ने दिया 36 घंटे का अल्टीमेटम
अंचल कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे कारोडीह के कतिपय लोगों को भाकपा माले का साथ मिला है। माले के विधानसभा नेता अशोक पासवान, जिला कार्यसमिति सदस्य विजय पांडेय, असगर अली एवं राजेश दास अनशनकारियों से मिले। पासवान ने कहा कि विधायक अपने पद और पावर का गलत इस्तेमाल कर निर्बल लोगों की जमीन छिनने का काम कर रहे हैं, जिसे माले कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। पीड़ित परिवार को 36 घंटे के भीतर न्याय नहीं मिला तो माले पूरी ताकत के साथ आंदोलन के लिए सड़क पर उतरेगी।
जिला कार्यसमिति सदस्य विजय पांडेय ने अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी की कार्यशैली पर सवाल उठाया। कहा कि विधायक के प्रभाव में आकर ये पदाधिकारी काम कर रहे हैं। यही कारण है कि एसडीएम ने उक्त पदाधिकारियों को कार्रवाई के लिए 7 मई को ही पत्र लिखा, लेकिन अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़ित परिवार को प्रशासन शीघ्र न्याय दिलाए वरना माले इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन तक लड़ेगी।