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हेमंत राज में हो रही जिलों की नीलामी : बाबूलाल

पूर्व सीएम सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत राज में झारखंड में जिलों की नीलामी हो रही है। किसी भी थाना में पैसे दिए बिना काम नहीं होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:45 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:16 AM (IST)
हेमंत राज में हो रही जिलों की नीलामी : बाबूलाल

गिरिडीह : पूर्व सीएम सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत राज में झारखंड में जिलों की नीलामी हो रही है। किसी भी थाना में पैसे दिए बिना काम नहीं होता है। यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। मरांडी सोमवार को यहां श्याम सेवा सदन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार झारखंड का खजाना खाली होने का रोना रो रही है, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार और उसके लोग ही खजाना में पैसा आने नहीं देना चाहते हैं। बालू, कोयला, पत्थर सभी चीजों की लूट हो रही है और सरकार खजाना खाली होने की बात कहती है। राज्य में अभी तीन हजार करोड़ रुपये पड़े हैं। सरकार श्वेत पत्र जारी कर जनता को बताए कि अभी राज्य के खजाना में कितने पैसे हैं। सरकार द्वारा भाजपा विधायक दल के नेता का दर्जा नहीं देने के सवाल पर कहा कि शिबू-हेमंत नहीं चाहते हैं कि किसी दूसरे परिवार के लोगों का अवसर मिले। ये दोनों परिवारवाद की राजनीति कर रहे है, इसलिए उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया जा रहा है, जबकि झाविमो का भाजपा में विधिवत विलय हुआ है। चुनाव आयोग ने भी इसकी मंजूरी दे दी है, इसके बाद भी सरकार हठधर्मिता दिखा रही है। एक सवाल के जवाब में कहा कि रघुवर सरकार ने महिलाओं के लिए एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री और किसानों को 5-5 हजार रुपये देने की योजना शुरू की थी, जिसे हेमंत सरकार ने बंद कर दिया, जबकि सरकार को इसे आगे बढ़ाना चाहिए था। चुनाव के समय हेमंत सोरेन ने बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार ने इस पर अब चुप्पी साध ली है। शिक्षा मंत्री के 1932 के खतियान में जिसका नाम है उसे ही झारखंडी माना जाएगा, संबंधी बयान पर मरांडी ने कहा कि शिक्षा मंत्री रोज नया बयान दे रहे हैं। उन्हें खुद पता नहीं कि वह क्या बोल रहे हैं। उन्होंने तो निजी स्कूलों का फीस माफ करने का भी बयान दिया था, लेकिन उसे भी पूरा नहीं कर पाए। ब्रह्मडीहा कोल माइंस से कोयले की हुई चोरी के संबंध में कहा कि इसके लिए उन्होंने सीबीआइ को पत्र लिखा है। इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। प्रवासी मजदूरों के पुन: वापस जाने के सवाल पर कहा कि यहां सरकार मजदूरों के लिए कुछ कर नहीं रही है। केवल बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। ऐसे में मजदूर तो वापस जाएंगे ही।


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