Move to Jagran APP

माफियाओं के कब्जे में सरकारी जमीन योजनाओं पर ग्रहण

जिला मुख्यालय से महज 6-7 किमी. दूर है परसाटांड़ पंचायत। सदर प्रखंड की इस पंचायत में भी अन्य पंचायतों की तरह कई समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं लेकिन इस महामारी काल और लॉकडाउन में सबसे अहम समस्या रोजी-रोजगार की उत्पन्न हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 08:00 AM (IST)
माफियाओं के कब्जे में सरकारी जमीन योजनाओं पर ग्रहण
माफियाओं के कब्जे में सरकारी जमीन योजनाओं पर ग्रहण

जासं, गिरिडीह : जिला मुख्यालय से महज 6-7 किमी. दूर है परसाटांड़ पंचायत। सदर प्रखंड की इस पंचायत में भी अन्य पंचायतों की तरह कई समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं, लेकिन इस महामारी काल और लॉकडाउन में सबसे अहम समस्या रोजी-रोजगार की उत्पन्न हो गई है। यहां घर में रहकर मजदूरी करने वाले लोगों और विभिन्न प्रदेशों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। सभी पंचायतों में मनरेगा के तहत अधिक से अधिक योजनाएं ली जा रही हैं, ताकि बेकार बैठे सभी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। सरकार और प्रशासन का भी इस पर पूरा जोर है, लेकिन यहां जमीन का टोटा लगा हुआ है। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है। जमीन के अभाव में मनरेगा योजनाएं दम तोड़ रही हैं और मजदूरों को काम देना मुश्किल हो रहा है। दैनिक जागरण की टीम ने रविवार को पंचायत का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

loksabha election banner

बेकार बैठे सैकड़ों मजदूर : जिला प्रशासन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सभी से युद्धस्तर पर काम करने की बात कह रहा है, लेकिन काम के अभाव में सैकड़ों मजदूर बेकार बैठे हैं। पंचायत भ्रमण के क्रम में पता चला कि यहां के चंदनडीह, मौसफडीह, परसाटांड़ आदि गांवों मे मनरेगा के तहत चार डोभा और एक मिट्टी-मोरम रोड का काम चल रहा है। इन योजनाओं में महज 70-80 मजदूरों को ही काम मिल पा रहा है।

गैरमजरुआ भूमि पर दंबगों का कब्जा : पंचायत में पर्याप्त गैरमजरुआ जमीन है, लेकिन उस पर दंबगों और भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। चितरडीह रोड में तालाब के सामने और उसके आसपास की गैरमजरूआ जमीन की प्लॉटिग कर भू-माफिया उसकी बिक्री कर रहे हैं। इस जमीन पर अवैध ढंग से कई मकान भी बनाए जा रहे हैं। चंदनडीह में छह एकड़ जमीन पर दंबगों ने कब्जा कर रखा है। इसी तरह हरिचक में एक व्यक्ति ने करीब 11 एकड़ जमीन की घेराबंदी कर ली है, जबकि उसने मात्र चार एकड़ जमीन ही खरीदी है। उसके कब्जे वाली शेष जमीन गैरमजरूआ है। इस तरह पंचायत में गैरमजरूआ जमीन की कमी हो गई है, जिस कारण योजनाओं का क्रियान्वयन भी नही हो पा रहा है।

तो सैकड़ों मजदूरों को मिलता रोजगार : ग्रामीणों में भू-माफियाओं और दबंगों का काफी भय है, जिस कारण ग्रामीण उनका विरोध भी नहीं कर पाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में काफी गैरमजरूआ जमीन है। यदि उससे अवैध कब्जा हटाकर योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जाए, तो सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिल सकता है।

पंचायत की प्रोफाइल :

राजस्व गांवों का नाम : परसाटांड़, हरिचक, मौसफडीह, चंदनडीह ।

आबादी : लगभग 5500

वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की संख्या : 109

मनरेगा जॉब कार्डधारी मजदूर : 1200

सक्रिय जॉब कार्डधारी : 250

- जाब कार्ड मांगनेवाले प्रवासी मजदूरों की संख्या : 80

- पंचायत में मनरेगा की 4-5 योजनाएं ही चल रही हैं। अब और योजनाएं नहीं ली जा सकती हैं क्योंकि इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। प्रशासन यदि जमीन उपलब्ध करा दे तो अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा सकता है। जमीन के अभाव में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है ।

-निर्मल प्रसाद वर्मा, मुखिया, परसाटांड़।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.