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गांव में मिला रोजगार तो थाली में दाल-सब्जी

गांडेय प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल चेंगरबाद गांव। यहां दो माह बाद मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ है। अब मजदूरों के घर में भी चावल के साथ कभी कभी दाल व सब्जी बनने लगे हैं। अब उनके बच्चे भी दाल व सब्जी खा रहे हैं। यह सब संभव हो पाया सरकार के महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना के कारण।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 05:52 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 05:52 PM (IST)
गांव में मिला रोजगार तो थाली में दाल-सब्जी

उदय कुमार राय, गांडेय(गिरिडीह) : गांडेय प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर है आदिवासी बहुल चेंगरबाद गांव। यहां दो माह बाद मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ है। अब मजदूरों के घर में भी चावल के साथ कभी कभी दाल व सब्जी बनने लगी है। उनके बच्चे भी दाल व सब्जी खा रहे हैं। यह सब संभव हो पाया सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के कारण। मनरेगा योजना के तहत गांव-गांव में डोभा, तालाब, टीसीबी, मेढ़बंदी, बागवानी, पीएम आवास योजना चल रही है। पंचायत के मजदूरों को काम मिल रहा है। काम मिलने से मजदूरों को कुछ आमदनी भी हो रही है। इससे उनके खान पान समेत अन्य जरूरी कार्य हो पा रहे हैं।

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कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन में सभी तरह के काम बंद हो गए थे। इससे दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गई थी। उनके समक्ष दो वक्त के भोजन की भी समस्या उत्पन्न हो गई थी। वे पीडीएस के अनाज से ही अपना भरण पोषण कर रहे थे। दाल व सब्जी उनके लिए सपना बन गई थी परंतु ढाई माह बाद सरकार ने लॉकडाउन में छूट देना शुरू किया। मजदूरों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को भी संचालित किया। इससे मजदूरों को अपने पंचायत में ही रोजगार उपलब्ध होने लगे। काम करने से मजदूरों की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

उदयपुर पंचायत के चेंगरबाद के ग्रामीण जुड़वा मरांडी, साहेब राम मरांडी, परमेश्वर मरांडी, सोना राम किस्कू मनरेगा मजदूर हैं। वे सुबह ही अपनी अपनी साइकिल पर गैंता, कुदाल व खाना बांधकर घर से काम करने के लिए निकलते हैं। दिनभर काम करने के बाद शाम तक वापस लौटते हैं। जुड़वा मरांडी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण ढाई माह से काम बंद था। इससे परिवार में भोजन के साथ आर्थिक परेशानी आने लगी थी। मनरेगा काम शुरू होने से अब काम मिलना शुरू हो गया है। अब भोजन में चावल के साथ दाल व सब्जी भी बन जाती है। साहेब राम मरांडी कहते हैं कि दो माह से घर में बैठे थे। इससे घर में कुछ भी पैसे नहीं बचे थे। पीडीएस के राशन से ही गुजारा चल रहा था। अब मनरेगा योजना से काम मिलने लगा है। इससे कुछ आमदनी हो रही है।

चेंगरबाद के ही मजदूर बाबूलाल किस्कू, हेमलाल मरांडी आदि ने बताया कि वे पूर्व में गिरिडीह में फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के कारण दो माह से काम बंद था। घर में बेरोजगार बैठे थे। खाने की समस्या हो गई थी। अब पुन: काम शुरू हुआ है। बीते बीस दिन से प्रतिदिन गिरिडीह स्थित फैक्ट्री में जाकर मजदूरी का काम कर रहे हैं। इससे कुछ आमदनी हो रही है। ग्रामीण मंगला किस्कु, चुड़का मरांडी, ठूडा मरांडी मिट्टी के घर पर बांस से छत बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण दो माह से घर निर्माण का काम बंद था। घर में बेरोजगार बैठे थे। अब लोग कुछ आमदनी हो रही है। दुबारा घर बनाने का काम शुरू हो रहा है। अब रोजगार मिलना शुरू हुआ है। बॉक्स में -पंचायत की प्रोफाइल : राजस्व गांव - महेशमुंडी, चेंगरबाद, महादेवडीह, चुटियाडीह, धोबना, उदयपुर, चरकमरा, तिलजोरी, बेलडीह, हरिपालडीह, घोराजोरी

-पंचायत की कुल आबादी - 6000

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बॉक्स में

- गांव-गांव में मनरेगा के तहत डोभा, तालाब, टीसीबी, मेढ़बंदी, बागवानी, पीएम आवास निर्माण का काम चल रहा है। ग्रामीण मजदूरों व प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। वहीं कृषि कार्य में भी मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है।

- गणेश हेंब्रम, मुखिया, उदयपुर।


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