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प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी दूर कर रही मनरेगा

सरिया पूर्वी पंचायत के पावापुर गांव की लगभग आबादी 2 से 3 हजार के बीच है। इसमें लगभग 1000 से अधिक लोग अपने गांव से दूर बड़े-बड़े महानगरों मुंबई दिल्ली कोलकाता बंगलुरु उड़ीसा आदि शहरों में रोजगार कर अपना एवं परिवार का जीवन यापन कर रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 07:00 AM (IST)
प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी दूर कर रही मनरेगा
प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी दूर कर रही मनरेगा

किशुन प्रसाद कुशवाहा, सरिया (गिरिडीह): सरिया पूर्वी पंचायत के पावापुर गांव की लगभग आबादी 2 से 3 हजार के बीच है। लगभग 1000 से अधिक लोग अपने गांव से दूर बड़े-बड़े महानगरों मुंबई ,दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, उड़ीसा आदि शहरों में रोजगार कर अपना एवं परिवार का जीवन-यापन कर रहे थे। इस वैश्विक महामारी के बीच सभी लोगों का लगभग रोजगार खो गया है और कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अपने विभिन्न साधनों से लगभग 75 फीसद मजदूर गांव पहुंचकर क्वारंटाइन होने के बाद अपने घरों में खाली समय बिता रहे हैं। इस कारण उन लोगों के समक्ष बेरोजगारी की भयंकर समस्या उत्पन्न हो गई है। इसे देखते हुए झारखंड सरकार से प्राप्त निर्देश के आलोक में सरिया पूर्वी पंचायत की मुखिया सुनीता देवी पहल करते हुए बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत इन दिनों रोजगार मुहैया करवाने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। मुखिया के अनुसार फिलहाल सरिया पूर्वी पंचायत में 4 बड़े बड़े डोभा का निर्माण करवाया जा रहा है। इसमें प्रति डोभा 20 से 25 मजदूर खुदाई के काम में बीते 1 सप्ताह से लगे हुए हैं। इस प्रकार प्रतिदिन पंचायत में लगभग 80 से 90 मजदूर मनरेगा के तहत मजदूरी कर अपनी बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में लगे हुए हैं। -मुंबई से लौटे प्रवासी मजदूर अजय यादव ने कहा कि मुंबई में वह ऑटो चलाकर अपना एवं अपने परिवार का जीविकोपार्जन करता था लेकिन इस करोना में काफी फजीहत के बाद वह वापस घर लौटा है। अब वह पुन: मुंबई या कोई बड़े शहर नहीं जाऊंगा और अपने गांव में ही रहकर मजदूरी या रोजगार कर जीवकोपार्जन का काम करेगा। -प्रवासी मजदूर दिनेश यादव ने कहा कि वे लोग कोई शौक से बड़े शहरों में काम करने के लिए नहीं जाते हैं। उनलोगों के पास घर चलाने की मजबूरी होती है। अगर सरकार स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मुहैया करवा दे तो वे लोग कभी किसी शहर में रोजगार की तलाश में नहीं जाएंगे और यहीं रहकर काम करेंगे। -प्रवासी मजदूर टिकू यादव ने कहा कि मैं भी मुंबई में रहकर मजदूरी का काम किया करता था। लेकिन अब मैं कभी मुंबई नहीं जाऊंगा। मैं घर पर ही रहकर खेती-बाड़ी एवं मनरेगा में मजदूरी कर रोजगार करूंगा। उन्होंने झारखंड सरकार से आग्रह किया कि मनरेगा की मजदूरी दर बढ़ाई जाए ताकि वे अपने परिवार का आसानी से पालन पोषण कर सकें। -प्रवासी मजदूर अर्जुन यादव ने कहा कि मैं भी मुंबई में एक प्रतिष्ठान में रहकर काम किया करता था लेकिन अभी जो परिस्थिति बनी है उसमें मुंबई जाने का कोई सवाल तो नहीं उठता है। अगर झारखंड सरकार मनरेगा में 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर 300 दिनों तक रोजगार तय कर दे एवं मजदूरी की दर बढ़ा दे तो मनरेगा के तहत ही मजदूरी कर अपने परिवार को घर पर ही रखकर चला लूंगा।

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