Move to Jagran APP

माओवादी रणवीर साक्ष्य के अभाव में बरी

जिला जज चार डीएन मिश्रा की अदालत ने शनिवार को नक्सली कांड के आरोपित नागेश्वर महतो उर्फ रणवीर उर्फ नागों दा को प्रयाप्त साक्ष्य के आभाव में रिहा किया।इस मामले में रिहा होने के बावजूद नागेश्वर महतो जेल से बाहर नही निकल पाएगा।उसके खिलाफ गिरिडीह के अलावा बोकारो और हजारीबाग जिले में कई नक्सली मामला लंबित है।नागेश्वर महतो को पुलिस दूसरे नक्सली मामलों से इस मामले में रिमांड कराई थी।यह मामला आठ दिसंबर2007 की मुफ्फसिल थाना क्षेत्र

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 08:20 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:16 AM (IST)
माओवादी रणवीर साक्ष्य के अभाव में बरी

गिरिडीह : जिला जज चार डीएन मिश्रा की अदालत ने शनिवार को कुख्यात नक्सली नागेश्वर महतो उर्फ रणवीर उर्फ नागो दा को पुलिस मुठभेड़ के मामले में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया। हालांकि रिहा होने के बावजूद नागेश्वर महतो जेल से बाहर नहीं निकल पाएगा क्योंकि उसके खिलाफ गिरिडीह के अलावा बोकारो और हजारीबाग जिले में कई नक्सली हिसा के मामले लंबित हैं। नागेश्वर को पुलिस ने इस मामले में रिमांड कराया था।

loksabha election banner

यह घटना आठ दिसंबर 2007 को मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हुई थी। पुलिस नियमित छापेमारी और एलआरपी के लिए सशस्त्र बल के साथ रात में निकली थी। इस कांड के सूचक थाना के एसआई जयप्रकाश सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा था कि रात करीब साढ़े बजे पुलिस दल जैसे ही गादी श्रीरामपुर, फुलची, हजारीबाग, चुंगलो होते हुए जशपुर पहुंची सशस्त्र माओवादी पुलिस बल पर हत्या व हथियार लूटने की नीयत से गोलीबारी करने लगे। पुलिसकर्मियों ने गाड़ी से उतरकर जवाबी गोलीबारी की। पुलिस को भारी पड़ता देख नक्सली पहाड़ के रास्ते भाग गए। इस मामले में पुलिस ने 15 चक्र गोली चलाई वहीं नक्सलियों ने 45 चक्र । दुर्गम स्थान होने के कारण पुलिस खोखा बरामद नहीं कर सकी।

अविनाश के दस्ते ने किया था हमला: इस मामले में अभियोजन की तरफ से 16 गवाहों का परीक्षण कराया गया। पुलिस अनुसंधान में पाया गया कि दस्ते का नेतृत्व अविनाश ने किया था। पुलिस ने अज्ञात 25-30 माओवादियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 16 गवाहों में से एक भी गवाह ने इस मामले के अभियुक्त को नहीं पहचाना। सूचक सह वर्तमान में डीएसपी ने भी अपनी गवाही में अभियुक्त को नहीं पहचाना। उन्होंने घटना का समर्थन किया था और जेल में बंद नक्सली को पहचानने की बात कही थी। जब वीसी से अभियुक्त की पहचान कराई गई तो वे उसे नहीं पहचान सके। गवाह का कहना था कि काफी पुराना मामला होने के कारण वे उसे नहीं पहचान सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.