अधिकार मांग रहीं कर्मी, नौनिहालों का मारा जा रहा हक
की हड़ताल से केंद्रों में लटके ताले प्रभावित हो रहे कई कार्य जागरण संवाददाता गिरिडीह स्थायीकरण मानदेय वृद्धि सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर गिरिडीह सहित पूरे झारखंड में आंगनबाड़ी कर्मी अनिश्चितकाली
गिरिडीह : स्थायीकरण, मानदेय वृद्धि सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर गिरिडीह सहित पूरे झारखंड में आंगनबाड़ी कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। सेविका, सहायिका तथा पोषण सखी के एक साथ हड़ताल पर चले जाने के कारण 3 सितंबर से ही आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले लटक गए हैं। ये कर्मी अपने अधिकार के लिए जिला से लेकर राज्य में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, तो दूसरी ओर हजारों नौनिहाल और महिलाएं सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। साथ ही सरकार के कई योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
बंद हैं 2437 आंगनबाड़ी केंद्र :
बता दें कि जिले में कुल 2437 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। हड़ताल के कारण इन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में ताले लटक गए हैं। केंद्रों में आकर स्कूली पूर्व शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे बाहर रहकर समय व्यतीत कर रहे हैं। करीब एक सप्ताह से यह स्थिति बनी हुई है।
सात हजार से अधिक कर्मी हैं हड़ताल पर :
प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में एक-एक सेविका, सहायिका और पोषण सखी कार्यरत हैं। ये सभी हड़ताल पर चली गई हैं। इस तरह केवल गिरिडीह जिला में सात हजार से अधिक कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से बाल विकास परियोजना और समाज कल्याण विभाग की व्यवस्था चरमरा गई है। हड़ताल के कारण न केवल बच्चों की स्कूली पूर्व शिक्षा बाधित हो रही है, बल्कि उन्हें केंद्रों में मिलने वाले पोषाहार से भी वंचित रखा जा रहा है। हजारों बच्चे इस सुविधा से महरूम रह रहे हैं। इसके अलावा महिलाओं व शिशुओं का टीकाकरण भी नहीं हो पा रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री सुकन्या योजना, बीएलओ जैसे कार्यों पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सुकन्या योजना के लक्ष्य प्राप्त पर संशय की स्थिति बन गई है। झारखंड राज्य समाज कल्याण आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष देवंती देवी ने कहा कि हड़ताल के कारण गिरिडीह सहित पूरे झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था चरमरा गई है। मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।