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दशरथ मांझी की तरह इन्होंने पांच किमी पहाड़ काटकर बना दिया रास्ता Giridih News

Salute to Courage. दशरथ मांझी की तरह बुजुर्ग हो चुके डोमन मियां और इस्लाम मियां ने मड़वा पहाड़ी को काट कर पांच किमी का नया रास्ता बनाया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 12:52 PM (IST)
दशरथ मांझी की तरह इन्होंने पांच किमी पहाड़ काटकर बना दिया रास्ता Giridih News
दशरथ मांझी की तरह इन्होंने पांच किमी पहाड़ काटकर बना दिया रास्ता Giridih News

दिलीप सिन्हा, गिरिडीह। झारखंड में गिरिडीह के माओवाद प्रभावित भेलवाघाटी में गया के दशरथ मांझी की कहानी दोहराई गई है। वही दशरथ मांझी जिनकी जीवनी पर माउंटेन मैन मूवी बनाई गई। दशरथ मांझी की तरह बुजुर्ग हो चुके डोमन मियां और इस्लाम मियां ने मड़वा पहाड़ी को काट कर पांच किमी का नया रास्ता बनाया है। लगातार दो साल तक गैंता, छेनी और कुदाल के दम पर। नई राह बनने के बाद गिरिडीह से बिहार के जमुई का सफर 60 किमी कम हो गया है। पहले सफर में ढाई घंटे लगते थे, अब सवा घंटा। आम लोग बाइक या पैदल इस राह से गुजरते हैं तो दोनों को मिलती हैं, असंख्य दुआएं।

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डोमन मियां और इस्लाम मियां की हसरत अभी पूरी नहीं हुई हैं। दोनों चाहते हैं कि उनके खून पसीने से तैयार की गई सड़क का अब पक्का निर्माण हो जाए। डोमन और इस्लाम कहते हैं, जहां सड़क बनाई है वह बिहार का हिस्सा है। वहां की सरकार इस हिस्से की पांच किमी तक पक्की सड़क बनवा दे तो बड़ी गाड़ियों का भी आवागमन शुरू हो जाएगा। तब जमुई और झाझा के लोग आराम से कोडरमा और गिरिडीह तक आना-जाना कर सकेंगे। अभी इस राह से सिर्फ बाइक का आवागमन हो रहा है। इससे न सिर्फ गिरिडीह की जनता को लाभ मिलेगा बल्कि यह बिहार-झारखंड को भी जोड़ने का काम करेगा। उनके प्रयास की सबने तहेदिल से स्वागत किया है।

लाल सलाम के साथ लोगों की जुबान पर मियां सलाम

भेलवाघाटी गिरिडीह जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर है। झारखंड और बिहार की सीमा पर। हर तरफ पहाड़ी। एक दशक से यहां के लोग लाल सलाम सुनते रहे हैं। बिहार की तरफ भी माओवाद का गहरा असर है। यहां के लोग इलाज कराने से लेकर बाजार करने के लिए बिहार के जमुई जाते हैं। मुख्य मार्ग से जाएंगे तो भेलवाघाटी से जमुई की दूरी करीब 115 किमी है। मड़वा पहाड़ी के बीच से रास्ता बनने के बाद यह दूरी घट कर 55 किमी रह गई है। अब भेलवाघाटी के लोगों की जुबान पर मियां सलाम सुनने को मिलता है।

दशरथ मांझी के बारे में सुना तो उनकी राह चल पड़े

इस्लाम मियां 62 साल के हो चुके हैं। कहते हैं कि पहले मड़वा पहाड़ी से होकर रास्ता नहीं था, इसलिए जमुई जाना आसान नहीं था। भेलवाघाटी से देवरी चतरो, चकाई, बटिया, सोनो होते हुए सफर करना पड़ता था। बावजूद न जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे थे न तंत्र। हम लोगों ने बिहार के दशरथ मांझी के बारे में सुना तो उनकी राह चल पड़े। किसी ने बताया था कि उन्होंने पहाड़ को काट कर रास्ता बना दिया। गाय चराने के समय डोमन मियां और मैंने आपस में विचार किया कि जो काम दशरथ मांझी ने किया है, वही काम हम लोग भी करें। बस हमने पहाड़ी को काटना शुरू किया। शुरू में गांव के अन्य लोगों ने देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि यह काम हो सकेगा। पर, जहां चाह वहां राह, धीरे धीरे भेलवाघाटी के और लोग भी पहाड़ी को तोड़ने में सहयोग करने लगे। छह माह रास्ता तैयार करने में लगे।

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