माओवादी दस्तक से सीमांत क्षेत्रों में दहशत
गावां (गिरिडीह) : गावां-तिसरी के सीमांत इलाके में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां तेज हो गई। पिछले कुछ
गावां (गिरिडीह) : गावां-तिसरी के सीमांत इलाके में एक बार फिर नक्सली गतिविधियां तेज हो गई। पिछले कुछ दिनों से सीमांत क्षेत्रों में माओवादियों ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराकर पुलिस को चुनौती देने का काम किया है। वर्ष 2000-2001 में पहली बार नक्सली केंदू पत्ता तुड़वाने वालों से लाखों रुपये की मांग के बाद चर्चा में आए थे।
इसकी रोकथाम को लेकर गावां-तिसरी के कई जगह पुलिस पिकेट लगाए जाने एवं ग्रामीणों की एकजुटता के बाद नक्सली बैकफुट पर चले गए थे। इन दिनों फिर नक्सली गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। केंदू पत्ता के व्यवसाय के दिनों में नक्सली लेवी वसूलने के लिए सुरक्षित जंगली इलाकों को अपना ठिकाना बनाया करते हैं।
गावां-तिसरी के सीमांत क्षेत्रों को नक्सली इसलिए भी सेफ जोन के रूप में इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि वे जमुई एवं नवादा जिले (बिहार) को जोड़ते हैं। इसका फायदा उठाकर नक्सली किसी भी घटना को अंजाम देकर आसानी के साथ बिहार में प्रवेश कर जाते हैं। इसका ताजा उदाहरण लोकाय-नयनपुर थाना क्षेत्र के बिरनी जंगल में गत दिनों देखने को मिला। वहां एलआरपी से लौट रहे सीआरपीएफ एवं जिला पुलिस के जवानों पर अचानक नक्सलियों ने फाय¨रग शुरू कर दी। दोनों ओर से 150 राउंड गोलियां चलीं। हालांकि, पुलिस को भारी पड़ता देख बीहड़ जंगल का फायदा उठा नक्सली भाग गए।
इसके पूर्व बीते 21 मई को देवरी प्रखंड के भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के तीन लोगों की हत्या चकाई थाना क्षेत्र में मुखबिरी के आरोप में कर दी गई। इससे फिर सीमांत क्षेत्रों में रह रहे लोगों में दहशत व्याप्त है। इस घटना के पांच दिन बाद पुन: लोकाय नयनपुर थाना क्षेत्र के बिरनी जंगल में पुलिस नक्सली मुठभेड़ ने यह साबित कर दिया कि नक्सलियों ने क्षेत्र नहीं छोड़ा, बल्कि झारखंड-बिहार के सीमाई क्षेत्र में ही डेरा जमाए हुए हैं।