महर्षि विश्वामित्र ब्राह्माण जाति से नहीं होते हुए भी ब्रह्मार्षि थे : आचार्य रणधीर ओझा
संवाद सूत्र हरिहरपुर (गढ़वा) हरिहरपुर ओपी क्षेत्र के डगर गांव में आयोजित श्री श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया।
संवाद सूत्र, हरिहरपुर (गढ़वा) : हरिहरपुर ओपी क्षेत्र के डगर गांव में आयोजित श्री श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पाचवें दिन बक्सर से पधारे आचार्य रणधीर ओझा ने भगवान राम की कथा को श्रोताओं के बीच बड़े ही मार्मिक व सरल शब्दों में रखा। प्रवचन बोलने के क्रम में श्रोताओं को बताया कि महर्षि विश्वामित्र का जीवन चरित्र हम सभी धर्मानुरागी सज्जनों को अनुकरण करना चाहिए। महर्षि विश्वामित्र एक सामान्य नर होते हुए भी अपनी साधना के शक्ति से परमात्मा को अपने पीछे पीछे चलने को बाध्य किया। विश्वामित्र ने बक्सर से चलकर राम की नगरी अयोध्या पहुंच कर भगवान राम व लक्ष्मण को अपने साथ लेकर बक्सर पहुंचे। जहां ताड़का, मारीच, सुबाहु जैसे राक्षसों का उद्धार कर भगवान राम ने विश्वामित्र का कार्य पूरा किया। चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि महर्षि विश्वामित्र ब्राह्मण जाति से नही होते हुए भी ब्रह्मर्षि थे। उस काल में गायत्री मंत्र के रहस्य को जानने वाला ऋषि में एक थे। मनुष्य को अपने जीवन में कभी भी अपने धर्म की मान्यता को कभी भी नहीं भुलना चाहिए। क्योंकि मानव जाती में जन्म लेना एक गौरव है। जन्म के बाद अपने जीवन काल में बुराईयों से दूर रहे उसके बाद ही जीवन सार्थक होगा । इसके पूर्व यज्ञस्थल पर विद्वान आचार्य के द्वारा मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालुओं ने यज्ञस्थल की परिक्रमा का भी कार्य किया जा रहा है। यज्ञ कमेटी के सदस्यों द्वारा यज्ञस्थल पर किसी भी श्रद्धालुओं को पूजा पाठ करने में परेशानी नहीं हो जिसके लिए हर जगह कमेटी के सदस्यों के द्वारा तत्परता दिखाई जा रही है ।