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अंगूठा लगाते हैं रंका में, राशन मिलता है गांव में

जन वितरण के आधा दर्जन दुकानों के ऑनलाइन मशीनों में नेटवर्क नहीं मिलने से लाभुकों एवं दुकानदारों को बीते 1 साल से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रंका प्रखंड मुख्यालय से 15 से 20 किलोमीटर दूर ग्रामीण अंचलों के सैकड़ों लोगों को रंका प्रखंड मुख्यालय आकर ऑनलाइन मशीन में अंगूठा लगाना पड़ता है तब जाकर उन्हें अपने अपने दुकानों से राशन मिल पाता है और यह सिलसिला पिछले एक साल से जारी है जनबितरण से जुड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। इस बाबत रंका प्रखंड के लरकोरिया गांव स्थित जन वितरण की खुशबू महिला स्वयं सहायता समूह की संचालिका ने बताया कि ऑनलाइन नेटवर्क नहीं मिलने की वजह से पिछले एक साल से रंका प्रखंड मुख्यालय परिसर

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 04:30 PM (IST)
अंगूठा लगाते हैं रंका में, राशन मिलता है गांव में
अंगूठा लगाते हैं रंका में, राशन मिलता है गांव में

रंका: प्रखंड क्षेत्र के जन वितरण प्रणाली के आधा दर्जन दुकानदारों को ऑनलाइन मशीन में नेटवर्क नहीं मिलने से लाभुकों एवं दुकानदारों को बीते एक साल से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड मुख्यालय से 15 से 20 किलोमीटर दूर ग्रामीण अंचलों के पीडीएस लाभुकों को रंका प्रखंड मुख्यालय आकर ऑनलाइन मशीन में अंगूठा लगाना पड़ता है तब जाकर उन्हें अपने अपने दुकानों से राशन मिल पाता है। यह सिलसिला पिछले एक साल से जारी है जनवितरण से जुड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। इस बाबत प्रखंड के लरकोरिया गांव स्थित जन वितरण दुकान खुशबू महिला स्वयं सहायता समूह की संचालिका ने बताया कि ऑनलाइन नेटवर्क नहीं मिलने की वजह से पिछले एक साल से प्रखंड मुख्यालय परिसर में आकर लाभुकों से अंगूठा लगवाना पड़ता है। फिर दुकान से लाभुकों के बीच राशन वितरित किया जाता है। कभी-कभी रंका में आने पर भी नेटवर्क नहीं मिल पाता तो दोबारा तिबारा आना पड़ता है। लरकोरिया गांव की जन वितरण की लाभुक जमीला बीवी, नजरुल बीवी, अजमेरून बीवी, जैनब बीवी, रशीदा बीवी, हसीना बीवी, सकीना बीवी, फातिमा बीवी, सलमा बीवी आदि ने बताया कि रंका जाने में एक आदमी का किराया 25 रुपये लगता है। समस्या के समाधान के लिए कई बार अनुमंडल पदाधिकारी एवं प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को आवेदन दिया गया। मगर आश्वासन के सिवा आज तक कुछ भी नहीं मिला। इसी तरह की समस्या सिरोई कला विश्रामपुर, सिरोई खुर्द तथा बरवाही गांव स्थित जन वितरण के दुकानदार एवं लाभुको की भी है। इन इलाकों में फोर जी नेटवर्क की अच्छी व्यवस्था है। मगर सरकार द्वारा ऑनलाइन मशीन में फोर जी सपोर्ट नहीं करता इलाके में टू जी नेटवर्क कभी नहीं रहता है। सरकार जन वितरण की व्यवस्था पारदर्शी चाहती है। मगर मशीन अपडेट करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस संबंध में विभागीय अधिकारी भी लाचार हैं। क्योंकि नेटवर्क की जिम्मेदारी दूर-संचार कंपनियों की है। इसलिए शिकायत मिलने के बाद भी अधिकारी कुछ करने की स्थिति में नहीं होते हैं। नेटवर्क की समस्या सिर्फ रंका प्रखंड में नहीं है बल्कि कमोबेश सभी प्रखंडों में यह समस्या आम है। जब से ऑनलाइन मशीन के जरिए राशन वितरण की व्यवस्था सरकार ने की है तब से राशन दुकानदार व लाभुक दोनों परेशान हैं। इस समस्या का निदान नहीं निकल पा रहा है। मशीन से राशन वितरण में पारदर्शिता तो आई है लेकिन परेशानी बढ़ गई है।

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