Move to Jagran APP

ये है तीन बेटियों का धाम, गढ़ रहीं हैं नए आयाम

गढ़वा : गढ़वा जिले के बेलचंपा में एक घर ऐसा भी है जहा से एक साथ विकास, स्वावलंबन, शिक्ष

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 10:48 PM (IST)
ये है तीन बेटियों का धाम, गढ़ रहीं हैं नए आयाम

गढ़वा : गढ़वा जिले के बेलचंपा में एक घर ऐसा भी है जहा से एक साथ विकास, स्वावलंबन, शिक्षा और स्वच्छता की धारा बहती है। खासबात यह है कि इन सभी धाराओं की वाहक तीन बहनें हैं। विपरीत स्थितियों में संघर्ष के साथ सफलता के मुकाम पर पहुंचीं ये तीन बेटिया आज अपने परिजनों के साथ साथ समाज के लिए भी गौरव का विषय बनी हैं। बेटियां इनसे सीख भी ले रही हैं। ये त्रिदेविया कमी रही हैं नाम बेलचंपा निवासी स्वर्गीय गजेंद्र

loksabha election banner

सिंह व मीना देवी की जिन तीन बेटियों की हम बात कर रहे हैं उनके सर से आज से 10 साल पहले पिता का साया उठ गया था। जब उनके पिता की हत्या हो गई थी। ऐसे में तीनों बहनों व इनकी मा मीना ने हार नहीं मानी और हौसले के साथ आगे बढ़ीं।

अपने नाम के अनुरूप अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए तीनों

बेटिया आज लोगों के बीच मिसाल बनी हुई हैं। शालीनता की प्रतीक सिया जानकी सिंह डीआरडीए की सहायक परियोजना पदाधिकारी की जिम्मेदारी संभालते हुए महिलाओं को सशक्त बनाने का कामकर रही हैं। धन व वैभव की प्रतीक महालक्ष्मी सिंह स्वच्छ भारत मिशन की जिला समन्वयक व नीर निर्मल परियोजना की

सलाहकार रहते हुए लोगों को स्वच्छता का संदेश दे रही हैं। वहीं सबसे छोटी बहन गौरी सिंह कस्तूरबा गाधी आवासीय विद्यालय में वार्डन व शिक्षिका रहते हुए बालिका शिक्षा को बढ़ावा दे रही हैं। तीनों बहनों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए स्वतंत्रता दिवस पर तत्कालीन उपायुक्त डॉ.नेहा अरोड़ा व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सम्मानित किया था। तीनों बहनों के काम की चर्चा हर तरफ है। सिया जानकारी सिंह की की प्रेरणा से बड़ी संख्या में ंमहिलाएं स्वावलंबी बन चुकी है।

महालक्ष्मी ने लोगों को स्वच्छ रहने और शौचालय बनाने तथा उपयोग करने के लिए प्रेरित कर स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रकार गौरी कस्तूरबा विद्यालय की वार्डेन रहते हुए बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करती रही है तथा उसके प्रयास से बालिकाएं अच्छा रिजल्ट ला सकीं।

-----------

पढ़ते समय ही उठ गया था पिता का साया, मा ने बढ़ाया हौसला तीनों बहनें जब पढ़ाई कर रही थी तभी वर्ष 2008 में उनके पिता गजेंद्र

सिंह की हत्या हो गई थी। एमबीए करने के बाद बड़ी बहन सिया कोबैंक ऑफ न्यूयार्क में मैनेजर के पद के लिए ऑफर लेटर आया था। लेकिन पिता की मौत के कारण वह विदेश नौकरी करने नहीं ंजा सकी तथा राची में निजी कंपनी में काम

करने का निर्णय लिया। तीन साल तक निजी कंपनी में नौकरी करने के बाद डीआरडीए में एपीओ के पद पर उसकी नियुक्ति हुई। इस दौरान छोटी बहन गौरी का चयन शिक्षिका के पद पर होगया। दोनों बहनों ने मंझली बहन महालक्ष्मी व तीन छोटे

भाइयों की पढ़ाई की जिम्मेदारी संभाल ली। कुछ दिनों के बाद महालक्ष्मी को भी एसबीएम में जिला समन्वयक पद पर नौकरी मिल गई तथा भाइयों की पढ़ाई पूरी

होने के बाद दो भाई नौकरी में चले गए। ....

बेटियों ने बढ़ाया मान : मीना सिंह

तीन बेटियों व तीन बेटों की मा मीना सिंह कहती हैं कि मैंने अपनी

बेटियों को वहीं सम्मान व हौसला दिया जो बेटों को दिया। कभी भेदभाव नहीं किया। बेटियों को उनके मुकाम तक पहुंचाना ही जीवन का लक्ष्य बना लिया था।आज तीनों बेटियों अपने अपने अपने क्षेत्र में नाम कमा रही हैं। बेटियों के कार्य से गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। सभी माता पिता अपनी बेटियों को वहीं सम्मान दें जो बेटों को दिया जाता है। कभी बेटा बेटी में भेदभाव नहीं करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.