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शहादत दिवस पर याद किये गये भगवान बिरसा मुंडा

गढ़वा: भाकपा माले जिला कमिटी के बैनर तले दीपवां मोहल्ला स्थित लोहिया भवन मे बिरसा मुंडा का118वें शहा

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 06:03 PM (IST)
शहादत दिवस पर याद किये गये भगवान बिरसा मुंडा
शहादत दिवस पर याद किये गये भगवान बिरसा मुंडा

गढ़वा: भाकपा माले जिला कमिटी के बैनर तले दीपवां मोहल्ला स्थित लोहिया भवन मे बिरसा मुंडा का118वें शहादत दिवस किशोर कुमार की अध्यक्षता में मनाया गया। सबसे पहले आजादी के आंदोलन में शहीद सभी क्रांतिकारी को याद करते हुए एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद बिरसा मुंडा की तस्वीर पर भाकपा माले के राज्य स्थायी समिति के सदस्य सुषमा मेहता ने माल्यार्पण किया। शहादत दिवस को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने बिरसा मुंडा के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिरसा मुंडा का जन्म एक गरीब आदिवासी सुगना मुंडा और करमी हातू के घर में 15 नवंबर 1875 में जन्म हुआ था। इनके मन मे हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर केन्द्रित रहता था। उन्होंने मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिए अपना नेतृत्व प्रदान किया। 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान माफी के लिए आंदोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। इलाके के लोग धरती आबा के नाम से पुकारते थे। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी। 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूंटी थाने पर हमला बोला था। बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये तथा 9 जून 1900 को रांची कारागार में अंतिम सांस ली। माले नेताओं ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की शहादत से शिक्षा लेते हुए सर्वहारा वर्ग की लडाई को तेज करने की जरूरत है। तभी उनके शहादत दिवस पर यही संकल्प सही श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर भाकपा माले जिला सचिव कालीचरण मेहता, वीरेंद्र चौधरी, कामेश्वर विश्वकर्मा, गणेश बैठा, सूर्यदेव चौधरी, लालमुनी गुप्ता, अनिता तिवारी, हीरा चौधरी,संजय चंद्रवंशी, प्रेम विश्वकर्मा,त्रिवेणी महतो,उदय कुमार, वासदेव भूईया,सत्येन्द्र मेहता, मनोज भुइयां सहित बड़ी संख्या में माले कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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