नगर उंटारी में प्रसव के उपरांत जच्चा-बच्चा की मौत
प्रखंड अंतर्गत स्वास्थ्य केन्द्र र्कोइंदी में सोमवार के अहले सुबह प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक प्रखंड के भोजपुर गांव निवासी कृष्णा भुईयां की पत्नी आरती देवी 20 वर्ष को सुबह में प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों के द्वारा उसे तत्काल स्वास्थ्य केन्द्र र्कोइंदी में भर्ती कराया गया था। प्रसव के दौरान आरती देवी ने बच्चे को जन्म दिया था।
नगर उंटारी : प्रखंड अंतर्गत स्वास्थ्य केंद्र र्कोइंदी में सोमवार के अल सुबह प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक प्रखंड के भोजपुर गांव निवासी कृष्णा भुइयां की पत्नी आरती देवी 20 वर्ष को सुबह में प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों द्वारा उसे तत्काल स्वास्थ्य केंद्र र्कोइंदी में भर्ती कराया गया था। प्रसव के दौरान आरती देवी ने बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के कुछ देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद आरती देवी की हालत गंभीर हो गई। हालत गंभीर होता देख एएनएम ने उसे अनुमंडलीय अस्पताल रेफर कर दिया। परिजनों के द्वारा उसे आनन-फानन में अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया जहां ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डॉ. रामानुज प्रसाद द्वारा उसे सदर अस्पताल गढ़वा रेफर कर दिया गया। गढ़वा ले जाने के क्रम में रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। - जच्चा-बच्चा की मौत से संस्थागत प्रसव पर सवाल
सरकार मातृ-शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिये संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे रही है। जिसके लिये प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है। किन्तु स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मातृ-शिशु मृत्यु दर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सोमवार को अनुमंडलीय अस्पताल अंतर्गत स्वास्थ्य केन्द्र र्कोइंदी में अहले सुबह प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। मौत के बाद संस्थागत प्रसव पर सवाल खड़ा हो गया है। सरकार द्वारा मातृ-शिशु मृत्यु दर पर पूर्णतया रोक लगाने के लिये जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम चलाया गया है। जिसमें शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये गर्भवती महिलाओं को निश्शुल्क जांच, दवा, भोजन, ब्लड एवं सर्जरी की सुविधा दी जाती है। साथ ही प्रसव पूर्व गर्भवती महिला का चार बार स्वास्थ्य जांच किया जाता है।
- रेफर केंद्र बनकर रह गया है अनुमंडल अस्पताल
नगर उंटारी अनुमंडलीय अस्पताल रेफर केंद्र बनकर रह गया है। यहां डयूटी में तैनात चिकित्सक मरीजों के बगैर जांच एवं प्राथमिक उपचार के ही सीधा उसे रेफर कर देते हैं। इसका ताजा उदाहरण प्रखंड के भोजपुर गांव निवासी आरती देवी को रेफर करना है। सोमवार की अहले सुबह स्वास्थ्य केंद्र र्कोइंदी से प्रसव के पश्चात स्थिति नाजूक होने पर एएनएम के द्वारा आरती देवी को अनुमंडलीय अस्पताल रेफर किया गया था। अनुमंडलीय अस्पताल में डयूटी पर तैनात चिकित्सक ने बगैर जांच एवं प्राथमिक उपचार के ही महज पांच मिनट में ही उसे सदर अस्पताल गढ़वा रेफर कर दिया गया। आरती देवी को सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया और 7 बजकर 40 मिनट पर ही उसे रेफर कर दिया गया। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक पांच मिनट में किस प्रकार मरीज का स्वास्थ्य परीक्षण कर यह अनुमान लगा ले रहे हैं कि मरीज रेफर करने लायक है।
- क्या कहती हैं डीएस
जच्चा बच्चा की मौत होने के संबंध में पूछने पर अनुमंडलीय अस्पताल के डीएस डा: सुचित्रा कुमारी ने कहा कि अनुमंडलीय अस्पताल में उसकी मौत नहीं हुई है। इसलिए उन्हें बयान देना उचित नहीं होगा।