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सत्य धर्म है और कृष्ण परमधर्म: कथावाचक

रामगढ़ भगवान सभी जगह हैं। उन्हें प्राप्त करने के लिए कहीं विशेष जगह जाने की जरूरत नहीं होती है। मनुष्य को इतनी भक्ति करनी चाहिए कि भगवान सपने में आ जाए। उक्त बातें प्रखंड के मयुरनाथ में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को गुरू आश्रम वाराणसी के कथा व्यास निलेश रामनुज दास ने कही। कहा कि भगवान को प्राप्त करने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। पांच वर्ष की अवस्था में ध्रुव ने कठिन तपस्या करके श्रीहरि को प्राप्त किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 06:38 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 06:21 AM (IST)
सत्य धर्म है और कृष्ण परमधर्म: कथावाचक
सत्य धर्म है और कृष्ण परमधर्म: कथावाचक

संवाद सहयोगी, रामगढ़ : भगवान सभी जगह हैं। उन्हें प्राप्त करने के लिए कहीं विशेष जगह जाने की जरूरत नहीं होती है। मनुष्य को इतनी भक्ति करनी चाहिए कि भगवान सपने में आ जाए।

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उक्त बातें प्रखंड के मयुरनाथ में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को गुरू आश्रम वाराणसी के कथा व्यास निलेश रामनुज दास ने कही। कहा कि भगवान को प्राप्त करने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। पांच वर्ष की अवस्था में ध्रुव ने कठिन तपस्या करके श्रीहरि को प्राप्त किया। इसलिए जो भी भक्त जिस उम्र में भी भगवान की सच्चे मन से भक्ति करता है वह परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। प्रथम पाली में उन्होंने संकी‌र्त्तन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संकी‌र्त्तन चार प्रकार के होते हैं जिसमें नाम, रूप, लीला एवं धर्म शामिल है। भक्ति, ज्ञान, बैराग्य का उद्धार शनकादिक के द्वारा हुआ। गौकर्ण एवं धुंधकारी संवाद के बारे में कहा कि सभी को कृष्ण की भक्ति करनी चाहिए। भक्ति से ही मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर सकता है। इस दौरान उन्होंने धर्म और परम धर्म के बारे में बताया कि सत्य ही धर्म है और कृष्ण ही परम धर्म है। हम सभी मनुष्य को ऐसा कर्म करना चाहिए जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुंचे। गोकर्ण आत्मज्ञानी एवं शास्त्र को बढ़ाने वाला था। इसके विपरीत धुंधकारी काफी दुराचारी था। भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को उनके साथ आये संगीत की टोली में शामिल मुकेश मिश्रा, सुनील जी एवं मिथलेश चौरसिया द्वारा एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत किया गया जिस पर उपस्थित श्रद्धालु झूमने पर मजबूर हो गये।


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