कैजुएलटी वार्ड में होगी पाइप से आक्सीजन की आपूíत
दुमका : आक्सीजन के अभाव में रोहित की तरह किसी दूसरे मरीज की मौत नहीं हो, इसके लिए अस्पत
दुमका : आक्सीजन के अभाव में रोहित की तरह किसी दूसरे मरीज की मौत नहीं हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्राउंड फ्लोर में कैजुएलटी वार्ड खोलने की तैयारी में सारा प्रबंधन जुट गया है। यहां भर्ती होनेवाले मरीजों को आक्सीजन की परेशानी नहीं हो, इसके लिए पाइप लाइन के माध्यम से आपूíत कराने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
दरअसल सिविल सर्जन डॉ. अनंत कुमार झा की विशेष पहल पर दस बेड का कैजुएलटी वार्ड खोलने की तैयारी चल रही है। इसमें उन लोगों को भर्ती किया जाएगा, जिनकी हालत नाजुक होगी। एक दिन में सुधार होने के बाद दूसरे वार्ड में भेज दिया जाएगा। यहां भर्ती होनेवाले मरीजों को आक्सीजन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, इसके लिए पाइप के माध्यम से आपूíत पर काम चल रहा है। ऐसा होने पर किसी भी मरीज को गैस सिलिंडर पर आश्रित नहीं होना होगा।
वार्ड में भी दो आक्सीजन कंस्ट्रेक्टर लगाने की तैयारी
जनरल वार्ड में भी आक्सीजन कंस्ट्रेक्टर लगाने पर भी विचार चल रहा है। करीब छह कंस्ट्रेक्टर की खरीद की जाएगी। दो महिला, दो पुरूष व दो प्रसव कक्ष में लगाए जाएंगे। अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. बीके सिन्हा ने बताया कि हवा में आक्सीजन 28 और नाइट्रोजन गैस 70 फीसद होती है। कंस्ट्रेक्टर आक्सीजन को फिल्टर करता है। इसमें सिलिंडर की आवश्यकता नहीं होती है। एक प्लग लगाते ही मरीज को कंस्ट्रेक्टर के माध्यम से आक्सीजन मिलने लगती है।
अस्पताल प्रबंधन को दी क्लीनचिट
16 सितंबर की देर रात को सांस में परेशानी की वजह से गांधी मैदान के समीप रहनेवाले विकास कुमार रजक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। समय पर आक्सीजन नहीं मिलने के कारण कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा। डीसी ने भी अस्पताल प्रबंधन से पूरी जानकारी ली। हालांकि अस्पताल प्रबंधन रोहित की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मानता है। बुधवार को उपाधीक्षक डॉ. बीके सिन्हा ने कहा कि रोहित को जिस समय अस्पताल लाया गया, उस समय वार्ड में एक आक्सीजन सिलिंडर था, जो दूसरे मरीज को लगा हुआ था। पांच मिनट के अंदर स्टोर कीपर भोली ¨सह ने आकर दूसरा गैस सिलिंडर दिया। उसी समय लाइट चली गई और अधिक लोड होने की वजह से सोलर प्लेट ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद भी मरीज के उपचार में सारा प्रयास किया गया लेकिन उसे बचाया जा नहीं सका। उनका कहना था कि अस्पताल प्रबंधन को बदनाम करने के लिए आरोप लगाया जा रहा है कि निजी अस्पताल से सिलिंडर लाकर रोहित को आक्सीजन देने का प्रयास किया गया। यह केवल चंद लोगों की हरकत है। अस्पताल प्रबंधन ने पांच मिनट के अंदर सिलिंडर की व्यवस्था कर दी थी।