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बजट सत्र में केंद्र की तर्ज पर गठित होगा एसटी आयोग

budget session. सीएम रघुवर दास ने कहा है कि केंद्र की तर्ज पर झारखंड में राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग बनेगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 04:59 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 04:59 PM (IST)
बजट सत्र में केंद्र की तर्ज पर गठित होगा एसटी आयोग
बजट सत्र में केंद्र की तर्ज पर गठित होगा एसटी आयोग

गोड्डा/दुमका, जागरण संवाददाता। केंद्र की तर्ज पर झारखंड में राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग बनेगा। बजट सत्र में इसका गठन कर लिया जाएगा। इसमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अलावा राज्य के प्रत्येक प्रमंडल से प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। आयोग जनजातीय मामलों का समाधान करेगा। आदिवासियों की संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए बन रहा यह आयोग संताल समुदाय के लिए नए साल का तोहफा होगा। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को प्रति एकड़ पांच हजार रुपये और अन्य मदद की बात भी दोहराई।

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सूबे के सीएम रघुवर दास ने यह बात शनिवार को गोड्डा के पुनसिया स्थित तिलका मांझी कृषि कॉलेज में लगी जनचौपाल और दुमका के आउटडोर स्टेडियम में संताल परगना स्थापना दिवस पर आयोजित प्रमंडलीय ग्राम प्रधान एवं परंपरागत प्रतिनिधियों के सम्मेलन में कही। सीएम यहां लोकसंस्कृति के रंग भी रंगे और परंपरागत वाद्ययंत्र तमाक बजाया।

उन्होंने कहा कि आज के दिन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने संताल भाषा को आठवीं अनुसूची शामिल किया था। उनके कार्यकाल में अलग से आदिवासी मंत्रालय का गठन किया गया था। अब पीएम मोदी आदिवासियों के सम्मान को बढ़ा रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने का काम करने वाली कांग्रेस ने इस समुदाय की सुधि नहीं ली। संताल परगना के कोने-कोने से आए ग्राम प्रधान, नायकी, गुड़ैत, जोगमांझी का आह्वान किया कि आदिवासी भाषा व संस्कृति को अक्षुण्ण बनाने में उनकी अहम भूमिका है। विदेशी ताकतें आदिवासी समाज को लोभ, लालच व भय दिखाकर धर्मांतरण करा रही हैं। यह खेल झारखंड ही नहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में चल रहा है। विदेशी ताकतों को धूल चटाने के लिए गांवों की परंपरागत व्यवस्थाएं पूरी सजगता अपने दायित्वों का निर्वहन करें।

हमारी सरकार परंपरागत व्यवस्था को और मजबूत बना रही है। सरकार ने इनकी सम्मान राशि को 1000 से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी धर्मातरण के विरोधी थे। संताली भाषा को और प्रभावी बनाने के लिए अब नए साल से कक्षा एक से पांचवीं तक ओलचिकी भाषा में भी पढ़ाई होगी। आदिवासियों के धार्मिक स्थल लुगू बुरु को और विकसित किया जाएगा।


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