सावित्री बाई फुले रखी थीं नारी शिक्षा की बुनियाद : वीसी
एसकेएमयू की कुलपति प्रो.डॉ.सोना झरिया मिज ने शुक्रवार को सावित्री बाई फुले के जन्मदिन पर उनके योगदानों को याद करते हुए कहा कि नारी के उत्थान में उनकी सबसे अहम भूमिका है। कुलपति ने कहा कि तीन जनवरी 1831 में जन्मीं सावित्रीबाई फुले की पहचान एक संवाहक भारतीय समाज सुधारक शिक्षाविद और एक कवियत्री के रूप में स्थापित है।
जागरण संवाददाता, दुमका : एसकेएमयू की कुलपति प्रो.डॉ.सोना झरिया मिज ने शुक्रवार को सावित्री बाई फुले के जन्मदिन पर उनके योगदानों को याद करते हुए कहा कि नारी के उत्थान में उनकी सबसे अहम भूमिका है। कुलपति ने कहा कि तीन जनवरी 1831 में जन्मीं सावित्रीबाई फुले की पहचान एक संवाहक, भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद और एक कवियत्री के रूप में स्थापित है। वीसी ने कहा कि सावित्रीबाई भारत की पहली महिला थीं जो स्त्री शिक्षा के प्रचार-प्रसार करने व इसे सर्वमान्य व सर्वाधिकार के रूप में विकसित करने की दिशा में गंभीरता से पहल की थीं। उनके चितन ने नारी सम्मान के महत्व को बताया। कुलपति ने कहा कि सावित्री बाई ने उन तमाम समकालीन सामाजिक विषमताओं के बाद भी ना केवल स्वयं को शिक्षित किया बल्कि खुद को उस योग्य बनाया जहां से नारी शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हो सका। उनके ही प्रयासों का नतीजा था कि उस दौर में एक उन्नत आकाश देने के लिए उन्होंने बालिका विद्यालय खोलवाने की पहल की। ऐसा कर उन्होंने ना केवल भारतीय नारी के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया बल्कि महिलाओं में शिक्षा की अलख जगाकर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी तैयार की। कहा कि आज उसी का परिणाम है कि वर्तमान में नारी शिक्षा को प्रमुख स्थान दिया जा रहा है। कुलपति ने कहा वर्तमान दौरान में उनके आदर्शों को आत्मसात कर आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि महिला सशक्तिकरण को और अधिक बड़ा आयाम मिल सके। इस मौके पर कई व्याख्याता भी मौजूद थे।