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प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध को मिलेगा बढ़ावा

दुमका : झारखंड की उपराजधानी दुमका के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती व प्रबंधन के गुर सीखाने के लिए कृषि वैज्ञानिक अब कृषि तकनीक के साथ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 06:16 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 06:16 PM (IST)
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध को मिलेगा बढ़ावा
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध को मिलेगा बढ़ावा

दुमका : झारखंड की उपराजधानी दुमका के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती व प्रबंधन के गुर सीखाने के लिए कृषि वैज्ञानिक अब कृषि तकनीक के साथ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध एवं प्रशिक्षण को बढ़ावा देंगे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में सिर्फ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर शोध एवं प्रशिक्षण के 20 कार्यक्रम तय किए जाएंगे। यह प्रस्ताव बुधवार को दुमका के कृषि विज्ञान केंद्र में 14वें वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में ली गई है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ. पीबी साहा ने कहा कि किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए यह जरूरी है कि वे परंपरागत कृषि के साथ वैज्ञानिक तरीके से भी खेती करें। डॉ. साहा ने बैठक में वर्ष 2018-19 में किए गए कार्यो की समीक्षा की और वित्तीय वर्ष 2019-20 के प्रस्तावों पर विस्तार से कृषि वैज्ञानिकों के संग चर्चा की। केवीके वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. श्रीकांत ¨सह ने बीते वर्ष हुए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, हाई वैल्यू उद्यानिक फसलों पर प्रत्यक्षण, शोध एवं नर्सरी उत्पादन पर किए गए कार्यो के बारे में विस्तार से जानकारी दी। दलहन फसलों के उन्नत प्रभेद, चना जीएनजी 1518, मसूरी डब्ल्यूबीएल 77, आइपीएल 617, अरहर आइपीए 203, मूंग हम 16, उड़द डब्ल्यूबीएल 109 के प्रमाणीत बीजों के उत्पादन की जानकारी भी डॉ. श्रीकांत ने दी। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने क्रास ब्रीड गायों पर फीड प्रबंधन के लिए ज्वार, बाजरा एवं मक्का पर तैयार शोधपत्र को प्रस्तुत किया। मृदा वैज्ञानिक डॉ. जयंत लाल ने गोबर कंपोसट बनाने के लिए विभिन्न आयामों की जानकारी पर शोध योजना प्रस्तुत किया। गृह वैज्ञानिक डॉ. सीमा ¨सह ने मशरूम, लीची के मूल्यवर्धन के लिए कार्य योजना प्रस्तुत की। इसके अलावा उन्होंने कटहल व आलू के मूल्यवर्धन के कार्य योजना को भी प्रस्तुत किया।

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बैठक में लीड बैंक प्रबंधक आर के द्विवेदी ने केसीसी में दिए जानेवाले ऋण सीमा एवं हाईवैल्यू फसलों के बाजार की जानकारी दी। नाबार्ड के डीडीएम नवीन चंद्र झा ने नाबार्ड के विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि केवीके से विकसित तकनीक को फार्म इनोवेशन फंड एवं अन्य परियोजनाओं से संपोषित करने की संभावना है। सहकारिता पदाधिकारी सूर्यप्रताप ¨सह ने मुर्गीपालन एवं अन्य उद्यमों का फेडरेशन बनाकर सहकारिता से जुड़ने पर बल दिया। बैठक में केवीके वरीय वैज्ञानिक एवं हेड अमृत कुमार झा, डॉ. राकेश रंजन, डॉ. किरण मेरी कंडीर, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. डब्ल्यू आइंद, सहायक निदेशक कृषि सहजानंद ¨सह, प्रगतिशील किसान भुनेश्वर मांझी, महिला कृषक दीपाली टुडू एवं ऐलिजाबेथ हेंब्रम मौजूद थीं।

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वर्ष 2019-20 में इस पर कृषि वैज्ञानिक करें शोध व प्रत्यक्षण

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- संरक्षित कृषि पर प्रत्यक्षण - 10

- समेकित कीट-रोग प्रबंधन पर शोध एवं प्रत्यक्षण -05

- द्वितीयक कृषि एवं कटाई उपरांत प्रबंधन पर प्रत्यक्षण -10

- बीज उत्पादन चना, सरसों, मसूर, अरहर, कुलथी - 100 हेक्टेयर

- उद्यानिक फसलों के पांच एवं बीज उत्पादन-पांच हेक्टेयर

- बकरीपालन, सूकरपालन, मुर्गीपालन की उत्पादन इकाई स्थापना - 05


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