एकल परिवार के कारण भी लोग हो रहे डिप्रेशन का शिकार
दुमका मानसिक जिला स्वास्थ्य केंद्र दुमका में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर सुसाइड प्रिवेंशन विषय पर संगोष्ठी रखा गया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि यह सुसाइड ऐसे विषाद जनित मानसिक रोग है जिसका प्रिवेंशन संभव है। आत्महत्या जैसे व्यवहारों का हर मुमकिन उपायों द्वारा रोका जाना संभव है जिसे ना केवल मनचिकित्सीय हस्तक्षेप से बल्कि सामूहिक प्रयास से भी रोका जाना उतना ही संभव है।
दुमका : मानसिक जिला स्वास्थ्य केंद्र, दुमका में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर सुसाइड प्रिवेंशन विषय पर संगोष्ठी रखा गया। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि संताल परगना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सह मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि यह सुसाइड ऐसे विषाद जनित मानसिक रोग है जिसका प्रिवेंशन संभव है। आत्महत्या जैसे व्यवहारों का हर मुमकिन उपायों द्वारा रोका जाना संभव है जिसे ना केवल मन:चिकित्सीय हस्तक्षेप से बल्कि सामूहिक प्रयास से भी रोका जाना उतना ही संभव है। आज भारत में 10 प्रतिशत युवा इसके शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व में एक साल में 8 लाख लोग डिप्रेशन का शिकार हो मौत को गले लगा चुके हैं जिसमें भारत 2.34 लाख के करीब हैं। प्रति 40 सेकंड में 1 व्यक्ति विषाद के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। यह आत्महत्या तभी प्रबल होता है जब उसे सभी तरफ से संवेगों की अभिव्यक्ति व अपेक्षित सहयोग के उम्मीदों के सारे दरवाजे बंद दिखते हैं। तभी आत्मबल से कमजोर व जीवन की निराशाओं से व्यथित होकर अपने को बेकार, असहाय व आशाहीन मानकर जिदगी को समाप्त कर देने का गलत निर्णय ले बैठते हैं। जिसका खामियाजा ना केवल उस परिवार विशेष को बल्कि उस समाज को भी उठाना पड़ता है जिसका वह हिस्सा होता है और जहां उसकी निदा भी सर्वत्र होती है।
डॉ. शर्मा ने आत्महत्या के लक्षण, कारण एवं रोकथाम पर भी चर्चा किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि संयुक्त परिवार से एकल परिवार में बंटना भी डिप्रेशन का एक कारण बन चला है जबकि जीवन में असफलता भी प्रमुख कारण है। जबकि डॉ. योगेंद्र सिंह ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में ज्यादा जागरूकता होनी चाहिए जिसमें सामाजिक कलंक को दूर करते हुए मानसिक रोगियों का सही से पुनर्वास किया जा सके। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के साइकियाट्रिक सोशल वर्कर डॉ. जुल्फिकार अली भूट्टो ने कहा कि विश्व में लगातार आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि हो रही है जो एक चितनीय विषय है जिसके रोकथाम में परिवार का सहयोग अपेक्षित है। जरूरत है कि ऐसे रोगियों का जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार हो तथा परिवार में अच्छा संचार हो तथा फ्रेंडली रिलेशन हो जिससे मन की बातों को बोलकर सांवेगिक बोझ कम कर सके। कार्यक्रम में मानसिक रोगी व उसके अभिवावक, चिकित्सा कर्मी, आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में पूछे गए प्रश्नों का भी उत्तर दिया गया। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन रोहिणी कुमारी ने किया।