बासुकीनाथ में पूजन अपशिष्टों से बनाई जा रही जैविक खाद
विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में श्रावण से लेकर अन्य दिनों तक अनुमानत: प्रत्येक दिन करीब 10 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक भक्तों की भीड़ जुटती है। इन भक्तों के द्वारा बाबा बासुकीनाथ पर फूल, बेलपत्र सहित विभिन्न प्रकार के पुष्प अíपत किए जाते हैं।
बासुकीनाथ : विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में श्रावण से लेकर अन्य दिनों तक अनुमानत: प्रत्येक दिन करीब 10 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक भक्तों की भीड़ जुटती है। इन भक्तों के द्वारा बाबा बासुकीनाथ पर फूल, वेलपत्र सहित विभिन्न प्रकार के पुष्प अíपत किए जाते हैं। इन पूजन अपशिष्टों को व्यर्थ न जाया करते हुए इनसे जैविक खाद बनाए की जाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। यह योजना झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के निर्देश पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरे को सुरक्षित निपटारे को लेकर बासुकीनाथ नगर पंचायत द्वारा कवायद जारी है। इसमें बासुकीनाथ मंदिर के पूजन अपशिष्टों के अलावा नगर पंचायत क्षेत्र से संग्रह किए जानेवाले गीले व सूखे कचरे से भी जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत मंदिर में प्रतिदिन चढ़ाए जानेवाले हजारों किलोग्राम फूल, बेलपत्र व पूजन अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान के लिए बासुकीनाथ बसस्टैंड में इन्हें एकत्रित कर इनसे जैविक खाद बनाया जा रहा है। बासुकीनाथ नगर पंचायत के सिटी मैनेजर सतीश कुमार दास ने बताया कि जैविक खाद से किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा। जैविक खाद के इस्तेमाल से प्राप्त होनेवाले सब्जी, अनाज, फल, फूल गुणवत्तापूर्ण होगी। यह खाद किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इस खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। कहा कि 500 रुपया प्रति ¨क्वटल की दर से जैविक खाद किसानों को नगर पंचायत द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। बाजार क्षेत्र एवं मंदिर द्वार पर जगह-जगह जैविक खाद के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने व इसकी उपलब्धता को लेकर बासुकीनाथ नगर पंचायत के सिटी मैनेजर सतीश कुमार दास की देखरेख में जैविक खाद बनाया जा रहा है। सिटी मैनेजर ने कहा कि भविष्य में जैविक खाद का उत्पादन व्यापक पैमाने पर करने की योजना है। इससे ना केवल किसानों को खेती में लाभ मिलेगा बल्कि नगर पंचायत के राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके साथ-साथ पूजन अपशिष्टों व नगर पंचायत क्षेत्र में यत्र-तत्र फेंकी जानेवाली गंदगी से भी नगर पंचायत क्षेत्र को सहज ही छुटकारा मिलेगा।
डेढ़ माह में बनकर तैयार हो जाता है जैविक खाद
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बासुकीनाथ में भक्तजनों के द्वारा चढ़ाई जानेवाली फूल व अन्य सामग्री पहले व्यर्थ जाया हो जाते थे लेकिन नगर पंचायत के प्रयास से अब भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए वेलपत्र व फूलों से जैविक खाद का उत्पादन कर युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए बालू के फर्श पर तीन गुणा 18 फीट का तीन बेड बनाकर उस पर सड़ रहे फूलों को रखकर उसमें केंचुआ छोड़ दिया जाता है। निश्चित समय में निश्चित मात्रा में गोबर को कई हिस्सों में बांटकर उस पर रखा जाता है। डेढ़ महीना तक कचरे पर सुबह शाम पानी का छिड़काव किया जाता है। 45 दिनों बाद जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.5 से 2 प्रतिशत सल्फर, 1.5 से 2 प्रतिशत तक पोटाश पाया जाता है। एक बेड के लिए एक 100 वर्ग फीट का बेड पर्याप्त है। इसमें नर व मादा केंचुआ दोनों छोड़ दिए जाते हैं। जिनसे इन केंचुओं की संख्या भी बढ़ जाती है और खाद का उत्पादन भी केंचुआ जितना ही बढ़ता है। उसी अनुपात में गोबर बेड को बढ़ा दिया जाता है।
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. जैविक खाद के फायदे
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जैविक खाद के प्रयोग से पौधों की ताकत बढ़ती है। भूमि की उर्वरा शक्ति में भी काफी वृद्धि होती है। पौधों में मौसम के मिजाज से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है। पैदावार में फल, फूल व सब्जियों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अनाजों की खेती के पैदावार में बढ़ोतरी होती है। जैविक खाद हर फसल के लिए फायदेमंद है। इस खाद में नुकसान देनेवाले जीवाणु नहीं होते हैं। जैविक खाद हर मामले में फायदेमंद ही होता है। इससे उत्पादित सब्जी फल एवं अनाज काफी पौष्टिक एवं गुणवत्तापूर्ण होता है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सभी प्रकार की खेती के लिए जैविक खाद सर्वश्रेष्ठ है। यह जैविक खाद पोषण पदार्थो से भरपूर होता है। इसमें पूजन अपशिष्टों के अलावे, गीले कचरे का निपटान करके इसे बनाया जाता है। इसके खाद में बदबू नहीं होती है। मक्खी व मच्छर नहीं पनपते हैं एवं वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। जैविक खाद का व्यापक रूप से उत्पादन कर नगर पंचायत के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की योजना है। बासुकीनाथ मंदिर के आसपास के दुकानदारों से आग्रह किया कि वह थर्माकोल का उपयोग न करें।
सतीश कुमार दास,
सिटी मैनेजर, बासुकीनाथ नगर पंचायत