आदिवासी संस्कृति को बचाने की जरूरत
हंसडीहा आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति बचाने के लिए जागरूक होना होगा। आज के दौर में आदिवासी अपनी रीति-रिवाज से दूर होते जा रहे हैं। उक्त बातें सांसद सुनील सोरेन ने गुरुवार को दुमका जिले के हंसडीहा में आयोजित देश मांझी थान के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कही।
हंसडीहा : आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति बचाने के लिए जागरूक होना होगा। आज के दौर में आदिवासी अपनी रीति-रिवाज से दूर होते जा रहे हैं। उक्त बातें सांसद सुनील सोरेन ने गुरुवार को दुमका जिले के हंसडीहा में आयोजित देश मांझी थान के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने कहा कि राज्य में आदिवासियों को समाज के मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। सांसद ने हंसडीहा जैसे पिछड़े इलाके में संताली संस्कृति को बचाने और आनेवाली पीढ़ी को अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानकारी देने के लिए विश्व सरना संगठन को बधाई देते हुए कहा कि देशभर में फैले आदिवासी इलाके में इसी प्रकार के काम करने की जरूरत है। इससे पूर्व हंसडीहा स्थित देश मांझी थान में कार्यक्रम का उद्घाटन सांसद सुनील सोरेन ने दीप प्रज्वलित कर किया। देश मांझी थान में आदिवासी रीति-रिवाज से सांसद का स्वागत किया गया। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई जिसमें सांस्कृतिक ग्रुप द्वारा विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में दिशोम मांझी कालीचरण हेंब्रम, रसिक बास्की, प्रमोद जायसवाल, दिनेश हेंब्रम, पूर्व मुखिया समिता मरांडी, देवीमुनी सोरेन, मीना देवी, बालकिशोर कॉपरी, महेंद्र यादव व रामकिकर मिश्र सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।