एकादशी पर 30 हजार भक्तों ने किया जलाभिषेक
बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि के पावन अवसर पर रविवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
बासुकीनाथ : विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ के दरबार में फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि के
पावन अवसर पर रविवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।
बासुकीनाथ मंदिर के पुरोहित पंडित मणिकांत झा मन्नो बाबा, आशुतोष झा ने बताया कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की रंगभरी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस एकादशी का महत्व अक्षय नवमी के समान है। श्री विष्णु ने जनकल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों सहित कुल 26 एकादशियों को उत्पन्न किया। पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्व समझाते हुए कहा कि -'जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, देवताओं में श्री विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी व्रत श्रेष्ठ है। सभी एकादशियों में नारायण के समान ही फल देने का सामर्थ्य है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का खास विधान है क्योंकि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। पद्मपुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान कांतिमान एक बिदु पृथ्वी पर गिरा, उसी से आमलकी (आंवला) का दिव्य वृक्ष उत्पन्न हुआ, जो सभी वृक्षों का आदिभूत कहलाता है। एकादशी व्रत में मन का पवित्र और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है। इस विशिष्ट तिथि पर करीब 30 हजार भक्तों ने भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की।