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हेमंत सोरेन बोले, मुख्यमंत्री रघुवर खुद घुसपैठिया; उन पर लागू हो एनआरसी

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि घुसपैठियों की समस्या सिर्फ झारखंड या देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है।

By Edited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 05:39 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 01:08 PM (IST)
हेमंत सोरेन बोले, मुख्यमंत्री रघुवर खुद घुसपैठिया; उन पर लागू हो एनआरसी

दुमका, जेएनएन। झारखंड में पहले घुसपैठिया तो स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं। वे खुद बताएं कि घुसपैठिया हैं कि नहीं। क्या उन पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू नहीं होना चाहिए। ठेका-पट्टा नहीं मिला तो भाजपा ने मसानजोर डैम का राजनीतिकरण कर दिया। उक्त बातें विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को खिजुरिया स्थित आवास में कही। कहा कि घुसपैठियों की समस्या सिर्फ झारखंड या देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है।

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इस समस्या का समाधान उचित फोरम पर ही किया जा सकता है लेकिन केंद्र व राज्य की सरकार इसे राजनीति रंग दे रही है। जो लोग आज घुसपैठियों का मुद्दा उठा रहे हैं वो झारखंड समेत कई राज्यों से रोजी-रोटी के लिए भारी संख्या में पलायन करने वालों पर खामोश क्यों हैं? केंद्र व राज्य सरकार मूल विषयों को छिपाने और जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए कभी हिन्दू, मुस्लिम की बात करते हैं तो कभी बाहरी-भीतरी का खेल शुरू कर देती है। मौके पर जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह, अशोक चौधरी, शिव कुमार बास्की आदि उपस्थित थे।

ठेका-पट्टा नहीं मिला तो दिया राजनीतिक रंग
हेमंत ने कहा कि मसानजोर डैम मसला दो राज्यों के बीच का और काफी पुराना है। स्वामित्व पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में इस दिशा में उनके द्वारा पहल की गई थी, लेकिन बात बीच में रह गई। समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी डैम के स्वामित्व को लेकर जो बयानबाजी कर रही हैं उसके पीछे दरअसल ठेका पट्टा का विवाद है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को डैम का मेंटेनेंस का ठेका नहीं मिला तो नाराज होकर रंग-रोगन व बोर्ड को लेकर बेवजह विवाद खड़ा कर दिया। केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है। मंत्री को सड़क पर बयानबाजी नहीं कर विस्थापितों को उचित मुआवजा और भूमि दिलाने की ठोस पहल करनी चाहिए थी। सरकार के मंत्री व डीजीपी सड़क छाप भाषा बोल रहे है। ऐसा लगता है कि राज्य में असामाजिक तत्वों का राज चल रहा है। कहा कि राज्य की जनता डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी से मर रही है और मुख्यमंत्री बालाओं के साथ रैंप पर कैटवाक कर रहे हैं। किसान कम बारिश और खेती नहीं होने से चिंतित है। पूरा राज्य सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है।

जिला से जो रिपोर्ट मिली है वह भयावह है। अब तक सिर्फ 30 फीसदी खेती हुई है। इसके बावजूद राज्य के मुखिया कैटवाक में मस्त हैं। अस्पताल में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं, लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। ऐसे नाजुक हालात में भी किसी राज्य के मुख्यमंत्री का मौज -मस्ती में मशगूल रहना ¨चता की बात है। कहा कि केंद्र व राज्य सरकार अब 2019 के चुनावी मोड में आ गई है। विकास कार्य ठप है। मंत्री व जनप्रतिनिधि विकास कार्य छोड़कर राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। चुनाव को लेकर पूरा विपक्ष इस बार एकजुट होकर मैदान में उतरेगा। लोकसभा व विधानसभा का चुनाव महागठबंधन के दायरे में होगा और भाजपा को रोकने के लिए जो भी बन पड़ेगा वह सभी दल मिलकर करेंगे।

पार्टी स्तर पर सभी जिलों से मांगी रिपोर्ट हेमंत ने आंशका व्यक्त करते हुए कहा कि एक बार फिर मौसम दगा दे गया है। सरकार का दावा है कि 50 फीसदी बुआई हो चुकी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। महज 30 फीसदी बुआई हुई है कई जिलों में यह आंकड़ा उससे भी कम है। बेवक्त बारिश और सरकार की उदासीनता ने किसानों की कमर तोड़ दी है। झामुमो राज्य के सभी जिलों की जमीनी हालात की रिपोर्ट तैयार कर रही है। जल्द ही इसके लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।


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