गायत्री त्रिसंध्या करने से जागृत होता अष्टचक्र
दलाही मसलिया प्रखंड के गुमरो पंचायत अंतर्गत छोटा डंगाल गायत्री प्रज्ञा पीठ में चल रहे तीन दिवसीय नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ अनुष्ठान का समापन पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। हरिद्वार के नेमी चंद आर्य कथावाचक ने पुराण की कथा सुनाते हुए श्रोताओं को बताया कि 21 वीं सदी परिवर्तन की बेला का समय है।
दलाही : मसलिया प्रखंड के गुमरो पंचायत अंतर्गत छोटा डंगाल गायत्री प्रज्ञा पीठ में चल रहे तीन दिवसीय नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ अनुष्ठान का समापन पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। हरिद्वार के नेमी चंद आर्य कथावाचक ने पुराण की कथा सुनाते हुए श्रोताओं को बताया कि 21 वीं सदी परिवर्तन की बेला का समय है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने पहले ही चेता दिया था। आज के समय में भौतिकता की ओर जाने से हमारी प्राण शक्ति क्षीण हो रही है। प्राण शक्ति को प्राप्त करने के लिए पूज्य गुरुदेव ने त्रिसंध्या गायत्री का जप करने की बात कही है। जिससे व्यक्ति में अष्टचक्र भी जागृत हो जाती है। उन्होंने बताया कि मूलाधार चक्र में ही आज के मानव फंसे रह जाते हैं वह वहां से उठ ही नहीं पाते। मूलाधार, स्वाधिस्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा व सहस्त्रार चक्रों के जागरण से मानव को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मोक्ष से जन्ममरण का झंझट ही समाप्त हो जाता है। आज के समय में पश्चिमी सभ्यता हमारे दशा व दिशा को पथ भ्रष्ट कर रही है। कुंडलिनी जागरण तो दूर की बात आज कोई भी आंनद से जीवन यापन नहीं कर सक रहा है। उन्होंने सारी समस्याओं का समाधान गायत्री साधना को बताया। यज्ञ में कईयों ने दीक्षा संस्कार, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत संस्कार भी लिया। पूर्णाहुति में सभी से एक-एक बुराई छोड़ने का आग्रह भी किया। मौके पर टूंपा देवी, ऊषा देवी, सरिता देवी, सीता देवी, देव्यानी कुमारी, भाभी देवी ने दीक्षा ग्रहण की। बेरिस्टर प्रसाद, फागू प्रसाद, दयानंद सिंह, मदन राउत, निरंजन राउत, भगीरथ, महतो, संभू अग्रवाल, गौरीशंकर यादव, राजेंद्र प्रसाद सिंह, अनिल भंडारी, फूलकुमारी, अनीता, जयदेव पंडित, दामोदर, मधुसूदन, अनंत, गणेश मिर्धा, देवनंदन राउत, रामसुंदर, भरत, विनोद, सुधीर, कैकेयी देवी आदि सैकड़ों परिजनों ने यज्ञ में भाग लिया।