सरकार को धान देकर परेशान हो रहे किसान
राशि भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। किसानों ने कहा कि लॉक डाउन के दौरान आवश्यक सामग्री लेने के लिए पैसे की जरूरत है। लेकिन उन्हें अपनी मेहनत से ऊपजाए धान की कीमत लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है गई। उनके दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है।
संवाद सहयोगी,सारठ : पैक्स में धान देकर किसान अफसोस कर रहे है। पैक्स में धान देने के तीन माह बाद भी किसानों को धान की राशि नहीं मिली है। सारठ, डिडाकोली, सधारिया, फुलचुवां, बभनगामा, आराजोरी, सबेजोर समेत नौ पंचायत के किसानों के लिए धान अधिप्राप्ति केंद्र सबैजोर बनाया गया है।
सरकार ने किसानों का धान निर्धारित दर पर पैक्स में खरीदने तथा 15 दिन के भीतर किसानों के खाते में राशि भेजने की बात कही थी। लेकिन आज किसान अपने मेहनत व पूंजी लगाकर ऊपजाए धान पैक्स में देकर सिर पीटने को मजबूर है। विभिन्न पंचायत के 114 किसानों ने लगभग 3800 क्विटल धान सबेजोर पैक्स में दिया है। पैक्स अध्यक्ष काशी प्रसाद राय के अनुसार लगभग 3100 क्विटल धान मिल ले गया है। जबकि 700 क्विटल धान पैक्स गोदाम में पड़ा है। गोदाम में पड़ा धान खराब हो रहा है तथा चूहा भी बर्बाद कर रहा है। धान के राशि का भुगतान नहीं होने से किसान उन्हें परेशान कर रहा हैं। जबकि उनकी जिम्मेदारी किसानों से लिया हुआ धान महज मिल तक पहुंचाना है।
क्या कहते हैं किसान सबेजोर के किसान रविकांत उर्फ भरत सिंह, परबाद के पांडव राय, डुमरिया के प्रवीण राय, देवली के युगल राय समेत अन्य किसानों का कहना है कि सरकार के द्वारा लागू किये कानून का अनुपालन खुद सरकारी तंत्र ही नहीं कर पा रहा है। किसानों को अधिक दाम पर पैक्स में धान बेचने का भरोसा दिलाया। लेकिन किसानों के खाते में धान की राशि भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। किसानों ने कहा कि लॉक डाउन के दौरान आवश्यक सामग्री लेने के लिए पैसे की जरूरत है। लेकिन उन्हें अपनी मेहनत से ऊपजाए धान की कीमत लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है गई। उनके दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है।