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फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने आठ मांगों पर भरी हुंकार

फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार को आठ सूत्री मांगों पर नवंबर तक सकारात्मक पहल न होने पर दिसंबर से आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 09:35 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 09:35 PM (IST)
फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने आठ मांगों पर भरी हुंकार
फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने आठ मांगों पर भरी हुंकार

फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार को आठ सूत्री मांगों पर नवंबर तक सकारात्मक पहल करने का अल्टीमेटम दिया है। नंवबर तक

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मांगें पूरी नहीं किए जाने पर दिसंबर से एसोसिएशन की ओर से राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। आंदोलन की शुरुआत दिसंबर माह में काला बिल्ला लगाकर कर खाद्यान्न वितरण से प्रारंभ किया जाएगा। रविवार को यह जानकारी दुमका में फेयर प्राइस डीलर्स

एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ओंकारनाथ झा ने दी। ओंकारनाथ ने कहा कि शनिवार को इस मुद्दे पर रांची में संपन्न राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में गंभीरता से चर्चा करते हुए 33 प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया गया। कार्यकारिणी की बैठक में सभी 24 जिले के प्रखंड व जिला समिति के पदाधिकारी हिस्सा लेने रांची पहुंचे थे। कहा कि राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में लिए गए प्रस्तावों पर सरकार से सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आग्रह किया जाएगा। कहा कि यह महसूस किया जा रहा है कि बीते कई वर्षों से पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार द्वारा राज्य के जनवितरण प्रणाली दुकानदारों के लंबित मांगों पर टालमटोल की नीति अपनाई जा रही है। इसकी वजह से डीलरों की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति हो रही है। उनका शोषण हो रहा है। विभागीय पदाधिकारी डीलरों पर मनमानी कर रहे हैं। गोदामों से अनाज कम दिया जा रहा है। कमीशन और मानदेय जैसे महत्वपूर्ण मामलों में राज्य के विधायक, विभागीय मंत्री सहित मुख्यमंत्री तक उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। इसकी वजह से डीलरों में आक्रोश और हताशा है। कहा कि राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सभी जिलों के आग्रह पर विभाग और सरकार को एसोसिएशन की मांगों पर विचार कर निर्णय लेने के लिए नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है। बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि यदि नवंबर तक उनकी मांगों पर सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है दिसंबर से लोकतांत्रिक ढंग से पूरे राज्य में विरोध प्रारंभ हो जाएगा। इसके तहत दिसंबर के पहले सप्ताह में राज्य के सभी डीलर काला बिल्ला लगाकर खाद्यान्न वितरण जारी रखेंगे। दूसरे सप्ताह में सभी प्रखंडों और जिलों से मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखो अभियान चलाया जायगा।

तीसरे सप्ताह में सभी प्रखंड मुख्यालय और जिला मुख्यालय में एक साथ धरना-प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी और उपायुक्तों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएगा। तय कार्यक्रमों को सही ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी जिलों में प्रभारी और सह-प्रभारी मनोनीत कर इन पर कार्यक्रमों की जिम्मेवारी तय की गई है। यह भी निर्देश दिया गया है कि अगर किसी जिला या प्रखंड में कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है, तो इसके लिए जिला व सह जिला प्रभारी जिम्मेवार माने जाएंगे।

ओंकारनाथ ने कहा कि शीघ्र ही इन कार्यक्रमों की रूपरेखा व तिथि तय कर जिलों को उपलब्ध करा दिया जाएगा। कहा कि प्रदेश कमेटी दो दिनों के अंदर अल्टीमेटम की जानकारी से सरकार को भी अवगत करा देगी।

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ये है इनकी प्रमुख मांगें

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- ई-पास मशीनों को फोर जी में परिवर्तित किया जाय या मशीनों को वापस लिया जाय।

- खाद्यान्नों पर 300 रुपये प्रति क्विटल कमीशन, किरासन तेल के आवंटन में बढ़ोत्तरी और दो रुपये प्रति लीटर कमीशन के साथ दो फीसद क्षतिपूर्ति दी जाए।

- प्रत्येक राशन दुकानदारों को एक सहायक के साथ काम करना पड़ता है इसलिए परिवार गुजारे और मेहनताना के एवज में 5000 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन भत्ता स्वीकृत किया जाए।

- कोरोना काल में अपनी सेवा देने के क्रम में संक्रमित होकर प्राण गंवाने वाले राशन दुकानदारों के लिए मुआवजे की राशि घोषित की जाय।

- एक हजार की आबादी पर दुकानों की अनुज्ञप्ति देने का प्रविधान है जिस नीति का उल्लंघन कर मनमाने तरीके से अनुज्ञप्ति देने पर रोक लगाई जाए। - स्वयं सहायता समूहों के नाम गलत ढंग से की जा रही नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।

- सभी डीलरों को लगभग समान रूप से आवंटन का बंटवारा हो, राशन कार्डों का बंटवारा नहीं हो।

- प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी संयम से काम लें अपने नाजायज कमाई के लिए विक्रेताओं के बीच माहौल खराब नहीं होने दें। सरकार द्वारा आदेश दिये जाने के बावजूद इनकी मनमानी कार्यशैली के कारण आदेश का अनुपालन करने में बाधा डाल रहे हैं, जिसे सरकार गंभीरता से ले।

- राज्य खाद्य निगम के गोदामों से सही मात्रा में खाद्यान्नों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाय।

- पीएमजीकेवाई के बकाए कमीशन के भुगतान और खाली जूट बोरे के भुगतान में कई जिलों से कार्यालय द्वारा डीलरों का आर्थिक शोषण पर विभाग सजग हो।

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