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एसपी की हत्या में शामिल 10 लाख का इनामी माओवादी ताला दा ढेर

encounter. झारखंड में शिकारीपाड़ा के छातूपाड़ा में मुठभेड़ में एक नक्सली के मारे जाने की सूचना है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 01:18 PM (IST)
एसपी की हत्या में शामिल 10 लाख का इनामी माओवादी ताला दा ढेर

जागरण संवाददाता, दुमका। झारखंड के संताल परगना में माओवादी आतंक का पर्याय बन चुके जोनल कमांडर सहदेव राय उर्फ ताला दा (30) को पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराया गया। रविवार की सुबह शिकारीपाड़ा प्रखंड (दुमका, झारखंड) के छातूपाड़ा गांव के बाहर नक्सलियों की पुलिस से मुठभेड़ हुई। 10 लाख रुपये का इनामी और दो जुलाई, 2013 को पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या में मुख्य भूमिका निभाने वाला ताला अपने करीब 20 साथियों के साथ यहां कैंप कर रहा था। मुठभेड़ में ताला दा ढेर हो गया। पुलिस की गोलियों से कई नक्सलियों के घायल होने की सूचना है।

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पुलिस ने घटनास्थल से एक एके 47, एक इंसास राइफल, बड़ी संख्या में कारतूस, कपड़े व बैग बरामद किए हैं। पुलिस और एसएसबी की टीमें खोजी कुत्तों की मदद से जंगल में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। करीब 700 जवान इस अभियान में शामिल हैं। शनिवार की शाम एसपी वाईएस रमेश को सूचना मिली कि ताला दा का दस्ता जंगल में कैंप किए है। तब पुलिस और एसएसबी की पांच टीमों ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन चलाया। चारों ओर से घेराबंदी कर पुलिस जंगल के रास्ते पहाड़ से नीचे उतर रही थी। रविवार सुबह करीब 6.55 पर एसएसबी के जवानों के साथ आगे बढ़ रहे जामा थाना प्रभारी फागो होरो का सामना माओवादियों से हो गया। मुठभेड़ में ताला दा मारा गया। पुलिस का दबाव देख अन्य नक्सली फायरिंग करते हुए जंगल के रास्ते भाग निकले।

50 मामलों में पुलिस को थी ताला की तलाश
ताला दा पर नक्सल वारदातों से संबंधित 50 मामले दर्ज हैं। दो जुलाई, 2013 को पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या के बाद से पुलिस उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही थी। एसपी अमरजीत बलिहार दुमका में बैठक के बाद पाकुड़ वापस लौट रहे थे। तभी काठीकुंड थाना के जमनी मोड़ के समीप एसपी की गाड़ी के पहुंचते ही नक्सलियों ने फायरिंग कर एसपी व अंगरक्षक चंदन थापा, वीरेंद्र श्रीवास्तव, मनोज हेंब्रम, राजीव कुमार शर्मा तथा संतोष मंडल को मार दिया था। इसके बाद कई बार पुलिस से सामना होने के बाद भी ताला बच निकला था।

-पुलिस के लिए यह बड़ी सफलता है। नक्सलियों की कमर टूट गई है। नक्सलियों के खिलाफ इसी तरह का अभियान चलता रहेगा।'
-राजकुमार लकड़ा, डीआइजी, दुमका।


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