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    माल पहाड़िया की घर में ही हो गई मौत

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 25 May 2019 08:01 PM (IST)

    जामा जामा प्रखंड अंतर्गत ऊपर रंगनी गांव में 22 मई को 50 वर्षीय मोटका मांझी माल पहाड़िया जनजाति की मौत हो गई। शव का अंतिम संस्कार करने के बाद शनिवार को ...और पढ़ें

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    माल पहाड़िया की घर में ही हो गई मौत

    जामा : जामा प्रखंड अंतर्गत ऊपर रंगनी गांव में 22 मई को 50 वर्षीय मोटका मांझी माल पहाड़िया जनजाति की मौत हो गई। शव का अंतिम संस्कार करने के बाद शनिवार को परिजनों ने आरोप लगाया कि मोटका की मौत घर में खाना नहीं होने की वजह से हुई है। चुनावी शोर शराबा में काम नहीं मिलने से परिवारवालों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा था और जिस वजह से उसकी मौत हो गई। निधन के बाद उनकी पत्नी कलावती देवी एवं तीन बच्चों का पूरा परिवार अनाज मिलने का इंतजार कर रहा है। अभी तक परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिला है। पत्नी आलावती देवी व उनके लड़के सुरेश मांझी अनिल मांझी एवं सुनील मांझी ने बताया कि किसी भी प्रकार का सरकारी योजना का लाभ परिवार को नहीं मिला है, राशनकार्ड व जॉबकार्ड नहीं बना है और न ही प्रधान मंत्री आवास योजना की स्वीकृति मिल पाई है जबकि मिट्टी एवं ताड़ के पत्ते का घर में अलग-अलग सभी जीने के लिए विवश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 15 दिन से मोटका मांझी का परिवार ताल का फल ताड़कुन खाकर जी रहे थे। घर पर खाने के लिए अनाज नहीं था। ईट-भट्ठा में काम कर मजदूरी से परिवार चल रहा था लेकिन आचार संहिता में चुनाव के कारण काम नहीं मिलने से माली हालत खराब हो गई। हाल ही में बंगाल से काम कर एक भाई अधपका ईट का घर बना रहा था और मजदूरी के सहारे जीवन यापन कर रहा था। तीनों पुत्र का परिवार मिट् टी और ताल के पत्तों की बनी झोपड़ी में रह रहा है सबसे दुखद स्थिति मोटका मांझी की पत्नी अलावती देवी एवं लड़का सुरेश मांझी के पास खाने के लिए अनाज का एक भी दाना नहीं है। 22 मई बुधवार निधन के बाद ग्राम प्रधान राजेंद्र यादव के द्वारा 15 किलो चावल दिया गया था। जिसके सहारे उनके परिवार में हड़िया चूल्हा जल पाया। निधन की जानकारी पाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी साधु चरण देवगम ने संज्ञान लेते हुए पंचायत कर्मी को भेजकर पड़ताल कराया और 10 किलो तत्काल खाने का राशन चावल मुहैया कराया। बीडीओ का कहना है कि मृतक की ससुराल रामगढ़ में है और वह परिवार के साथ वहीं रहता है। वोट देने के लिए आया था। भूख से मरने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उसके पास गुलाबी कार्ड था, जिसमें परिवार के हर सदस्य को पांच किलो अनाज दिया जाता है। डाकिया योजना के तहत कार्ड नहीं बना था। मौत की वजह कुछ और हो सकती है। परिवारवालों को निधन के दिन ही जानकारी देनी चाहिए थी लेकिन अब सामने आकर भूख से मरने का आरोप लगा रहे हैं। दाह संस्कार कर देने के बाद मौत का कारण भी पता नहीं चलेगा। परिवार की स्थिति देखते हुए आपदा राहत के तहत एक बोरा अनाज दिया गया है। और जो भी संभव होगा, मदद की जाएगी।

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