आग से 50 औषधीय पौधों पर संकट
काठीकुंड काठीकुंड और गोपीकांदर प्रखंड के जंगलों में लगी आग से 50 औषधीय पौधों पर संकट मंडरा रहा है। दो दिन से आग जल रही है लेकिन वन विभाग की ओर से बुझाने का प्रयास तक नहीं किया गया।
काठीकुंड : काठीकुंड और गोपीकांदर प्रखंड के जंगलों में लगी आग से 50 औषधीय पौधों पर संकट मंडरा रहा है। दो दिन से आग जल रही है लेकिन वन विभाग की ओर से बुझाने का प्रयास तक नहीं किया गया।
बताया जाता है कि ग्रामीणों ने ही महुआ चुनने के लिए जंगल में आग लगा दी। दोनों प्रखंड के जंगलों में आग ने विकराल रूप ले लिया है। आग से कीमती औषधीय पौधों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अगर आग पर काबू नहीं पाया गया तो कीमती पौधे नष्ट हो जाएंगे। वन विभाग भी सब कुछ जानते हुए किसी तरह का प्रयास नहीं कर रहा है। हांलाकि वन विभाग के द्वारा प्रत्येक पंचायत और गांव में वन समिति सदस्यों को चयन किया गया है। सदस्यों ने भी ग्रामीणों के बीच जागरूकता लाने की पहल तक नहीं की। औषधीय पौधे से वैद्य कई बीमारियों का इलाज के लिए दवा भी बनाते हैं। आग से पिपली, कालमेघ, बबूल, खैर, बड़, पीपल, गुलर, कठुमर, शिरीष, साल, सलई, शीशम, अर्जुन, आसन, रीठा, तून, पलाश, सेमल, काला सेमल, सहोड़ा, गम्हार, सोन-पठा, कनेर-श्वेत, नीम, करंज, बांस, आम, कदंब, ताड़, बेल, कैथ, कुचिला, जामुन, तूत, लिसोढा, इमली, कपास, आंवला, रतन जोत, करौंदा, समेत कई औषधीय पौधों का अस्तित्व मिट सकता है। वन क्षेत्र पदाधिकारी परिमल पुष्प सिन्हा ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा महुवा चुनने के लिए लगाए गए आग से जंगल में आग लगी है। बुझाने के लिए प्रतिदिन प्रयास किया जा रहा है।