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जागरण विशेष - कोरोना से जंग में वैक्सीनेशन अहम कड़ी : डॉ.अजीत

------- राजीव दुमका ------- झारखंड की उपराजधानी दुमका के प्रज्ञापुरी मोहल्ला के मूल निव

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 05:27 PM (IST)
जागरण विशेष - कोरोना से जंग में वैक्सीनेशन अहम कड़ी : डॉ.अजीत

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राजीव, दुमका

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झारखंड की उपराजधानी दुमका के प्रज्ञापुरी मोहल्ला के मूल निवासी डॉ.अजीत कुमार वर्मा बीते दो दशक से

इंग्लैंड के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के तहत रॉयल जिवेंट हॉस्पिटल न्यूपोर्ट इंग्लैंड में बतौर वृद्धावस्था रोग चिकित्सक कार्यरत हैं। इन्हें एक्यूट मेडिकल टेक और स्ट्रोक थ्रोमबोलाइसिस की विशेषज्ञता भी हासिल है। ये वृद्धावस्था रोग विभाग के निदेशक के पद पर भी हैं। इनके पिता स्व.डॉ.परशुराम प्रसाद वर्मा पशुपालन विभाग में सहायक निदेशक और मां स्व.मीना वर्मा सरकारी स्कूल की शिक्षिका थीं। बचपन की पढ़ाई दुमका के संत जोसेफ स्कूल, एसपी कॉलेज से हुई। एमबीबीएस पटना से किए। डीसीएच डीएमसीएच से और एमडी कानुपर से की। इनके पास एमआसीपी की भी डिग्री है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रामक दौर में डॉ.अजीत ऑनलाइन अपने वतन भारत के कोविड मरीजों को चिकित्सीय परामर्श देकर स्वस्थ कर रहे हैं। दुमका समेत झारखंड के विभिन्न शहरों, बिहार, हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों में पीड़ित तकरीबन 100 में 98 मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं। डॉ. अजीत कहते हैं कि अपने वतन से प्रेम किसको नहीं होता है। कहा भारत से संपर्क करने वाले कोविड-19 मरीजों को व्हाट्सएप और व्हाट्सएप वीडियो कॉलिग के जरिए चिकित्सीय परामर्श देते हैं। इसके लिए वे अपनी दिनचर्या में भी काफी बदलाव कर चुके हैं। गंभीर रूप से बीमार मरीजों

पर खास ध्यान देने के लिए अतिरिक्त समय निकालते हैं। फिलहाल उनकी देखरेख में रहने वाले दो मरीज पटना के अस्पताल में इलाजरत हैं जबकि 98 मरीजों को अस्पताल जाने की नौबत ही नहीं आई। डॉ.अजीत कहते हैं कि वे इंग्लैंड में भले ही रहते हैं लेकिन अपने देश और माटी को इस संकट के समय में कैसे भूल सकते हैं। कहा कि हमारी मातृभूमि अभी बहुत कठिन दौर से गुजर रही है।

भारत में चिकित्सीय आधारभूत संरचना कमजोर है इससे भी इन्कार नहीं है। ऐसे में अगर सामाजिक संस्थाएं आपसी सौहार्द एवं स्व-अनुशासन के साथ उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण इस्तेमाल करें तो इससे

कई एक की जान बचाई जा सकती है। ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराकर भी कई मरीजों को बचाना संभव है। संक्रमित मरीजों को सही चिकित्सीय सलाह देकर उनका इलाज घर में रखकर किया जाए तो इससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों की परेशानी कम हो सकती है।

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फिलहाल कोविड-19 से जंग में वैक्सीनेशन सबसे अहम

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कोविड-19 के संक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए वैक्सीनेशन सबसे अहम है। इसके अलावा डबल मास्क, हाथ की सफाई व शारीरिक दूरी

का पालन हरेक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। वर्तमान हालात में भी 90 फीसद संक्रमित मरीज घर में रहकर ठीक हो रहे हैं। सिर्फ पांच फीसद मरीजों को ही ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से अस्पताल जाने की जरूरत पड़ रही है। इसमें से कुछेक जो पहले से दिल, मधुमेह या ब्रोंकाइटिस से पीड़ित रहे हैं उन्हें गहन चिकित्सा सेवा की आवश्यकता पड़ती है और इनकी मौत की संभावना अधिक रहती है। कोविड-19 से संक्रमित होने पर मरीज घबड़ाएं नहीं। संक्रमित होने पर खुद को आइसोलेट करें। हर आठ घंटे पर ऑक्सीजन लेवल व बुखार मापें। शुरुआत के पांच दिनों तक छह-छह घंटे पर सिर्फ पारासिटामोल लेना चाहिए। अगर इसके बाद भी बुखार ठीक नहीं हो और ऑक्सीजन लेवल 93-94 से नीचे आने लगे तो तुरंत किसी अनुभवी चिकित्सक से संपर्क कर उनकी सलाह पर अस्पताल में भर्ती

हो सकते हैं। इलाज के क्रम में कुछ विशेष रक्त परीक्षणों के अलावा छाती का एक एक्स-रे अधिकांश मामलों में पर्याप्त है। विशेष परिस्थिति में ही हाई रिजॉल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) कराया जाना चाहिए। स्टेरॉयड डेक्सामिथासोन या प्रीडीनीसोलन निसंदेह बहुत प्रभावी है लेकिन इसका उपयोग केवल ऑक्सीजन की मात्रा कम होने की स्थिति में ही चिकित्सीय

सलाह पर किया जाना चाहिए। स्टेरॉयड बहुत जल्दी शुरू किए जाने पर

यह बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके कारण वायरल प्रतिकृति में वृद्धि, फंगल संक्रमण या निमोनिया की वजह से मरीज के लक्षण बिगड़ सकते हैं। इसके साथ क्लेक्सेन इंजेक्शन या एंटीकोगुलेंट जिसमें अपिक्सबन भी शुरू किया जाना चाहिए। रेमडेसिविर की भूमिका इस बीमारी को ठीक करने में बहुत ही कम है। जिक, विटामीन डी, विटामीन सी, हाइड्रॉक्सी

क्लोरोक्वीन या प्लाजमा थेरेपी जैसी अन्य दवाओं की भूमिका भी अहम नहीं है। एंटी बॉयोटिक्स केवल सुपरडेड संक्रमण में सहायक है।

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वर्जन

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कोविड-19 का संक्रमण होने पर घबड़ाने के बजाए सही इलाज की दिशा में आगे बढें। सावधानी जरूरी है और कोविड-19 के गाइडलाइनों का पालन अहम पहलू है। ऐसा कर 90 फीसद मरीज घर में ही रहकर ठीक हो सकते हैं।

डॉ.अजीत कुमार वर्मा, वृद्धवस्था रोग विशेषज्ञ, रॉयल जिवेंट हॉस्पिटल, न्यपोर्ट, इंग्लैंड

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