दुमका, जागरण संवाददाता। बाल मजदूरी के दलदल में फंसकर न जाने कितने बचपन मुस्कराना भूल जाते हैं। बाल श्रम के खिलाफ सरकार के प्रयास जारी है। इसी कड़ी में शनिवार को धावा दल ने खिजुरिया की मोटरसाइकिल गैराज में काम कर रहे 12 साल के बच्चे को रेस्क्यू किया।

जिला स्तर पर गठित धावा दल ने शनिवार को 12 वर्षीय बालक का रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। चाइल्ड लेबर का मामला दर्ज करते हुए सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ. अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ. राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने मामले की सुनवाई की और नियोक्ता को मुआवजे के तौर पर बालक को 20 हजार रुपये देने का आदेश दिया।

बालक ने बयान में बताया कि वह पिछले करीब तीन माह से खिजुरिया स्थित गैराज में हेल्पर के रूप में काम करता और सीखता है। बदले में उसे प्रतिदिन 15-20 रुपये मिलते हैं। रिश्ते के दादा कभी-कभी खाने के लिए 100-150 रुपये देते हैं। वह अब गैरेज में काम नहीं करेगा बल्कि पढ़ाई करने स्कूल जाएगा।

पहले तो मां और अन्य परिजनों ने बालक के गैराज में काम करने से इनकार किया, पर जब उन्हें बताया गया कि धावा दल ने बालक को काम करते हुए पाने पर उसे समिति के समक्ष प्रस्तुत किया है, बालक ने भी अपने बयान में गैरेज में काम करने की बात स्वीकारी है तो उन्होंने गलती स्वीकारी और माफी मांगी।

चचेरे दादा ने बयान में कहा कि बालक उनके गैरेज में तीन महीने से काम कर रहा था। मुआवजा के रूप में 20 हजार रुपये बालक के बैंक खाते में जमा कर देगा। मां ने बताया कि पति धनबाद में रहते हैं। वह चूड़ी बेचती है।

मां ने बताया कि बेटे का उर्दू स्कूल में नामांकन करवाया है पर वह स्कूल नहीं जाता है। समिति ने फार्म 20 में अंडरटेकिंग लेकर बालक को उनके साथ घर भेज दिया है।

ट्रेन में बैठकर बंगाल से दुमका पहुंचा बालक

वहीं, मुफस्सिल के चोरकट्टा इलाके में छह दिनों पूर्व भटकते मिले 16 वर्षीय बालक को शनिवार को चाइल्डलाइन टीम मेंबर इब्नूल हसन ने बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बालक के बारे में सूचना देनेवाले श्यामल साहा भी समिति के समक्ष हाजिर हुए।

बयान में उन्होंने बताया कि यह बालक 29 जनवरी को उनके घर के बगल में मिला। पूछताछ करने पर बालक ने अपना नाम पता बताया। पता पर रजिस्ट्री चिट्ठी भेज कर उसके परिवार को बालक के दुमका में होने की जानकारी दी।

बालक को अपने घर में रख लिया और उसके परिजनों के आने का इंतजार करने लगे पर जब 4-5 दिन बीतने के बाद भी उसे लेने कोई नहीं आया तो चाइल्डलाइन को इसकी सूचना दी। बालक ने बयान में बताया कि उसके पिता की चार वर्ष पूर्व लीवर की बीमारी से मृत्यु हो चुकी है।

Edited By: Roma Ragini